Thursday 20 December 2012

गांधारी के राज में नारी !


                                                               ( गूगल के सौजन्य से )



पढ़ा है महाभारत में
द्रौपदी का चीर हरण हुआ था सभा में
सभी मर्द थे ,पर चुप थे ,भय से ,अचरज से ,
कोई न आया बचाने द्रौपदी को
लाज बचाया केवल कृष्ण  ने।

आज" भारत महान" की राजधानी ....
दिल्ली - पुरातन इन्द्रप्रस्त में
हो रहा है पुनरावृति वही  कहानी की
पर राजसभा अब धृतराष्ट्र की नहीं
अब यह  है गांधारी की।
नारी का राज है
नारी के राज में
नारी ही बेआबरू है
सभा में नहीं
अब सड़क  पर।

नारी बेआबरू है ,
उसकी इज्जत जर्जर है
सड़क पर ,बस में, कार  में ,
रक्षा के आस्था स्थल , थाने में ,
कोई कृष्ण नहीं  आया उसे बचाने  में,
क्योंकि सड़क से राजसभा तक
दु:शासनों का राज है।
सड़क पर,
थाने पर
दू:शासन का ही प्रहरी है
इसलिए नारी निर्वस्त्र होने के लिए
मजबूर है।

कृष्ण हीन द्वारका में
नहीं बचा पाया अर्जुन
गोपियों का मान ,
जल समाधी लिए गोपियाँ
बचाने आत्म सम्मान।

नारियों !जागो !!
यह नहीं  है द्वापर युग
जल समाधी कभी न लेना
यह है कलियुग ,
सशरीर कृष्ण नहीं आया
तो क्या ?
दुर्गा, काली की शक्ति है तुम में
उसका क्या हुआ ?
जगाओ उस शक्ति को
ललकारो दुस्शासनों को ,
न रक्तबीज रहा न महिषासुर
दुराचारी दूस्शासन  भी नहीं रहेगा।
आओ निकलकर घर से
वध करो सब दुस्शासनों  को
तीर ,तलवार ,बन्दुक न बुलेट से
अपना अ-मूल्य  मत पत्र "वेलेट" से।

कालीपद "प्रसाद "
© सर्वाधिकार सुरक्षित       

15 comments:

  1. http://urvija.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_7848.html

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  2. वाह: बहुत सुन्दर सटीक रचना..

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  3. ना कल बदला था ना आज

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  4. नारी का राज हो या पुरुष क छली नारी ही जाती है ... सटीक और सशक्त रचना

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  5. मेरा भारत महान अब मुझसे नहीं कहा जाता है।

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  6. इंद्रप्रस्थ ,दु :शासन /दुस्शासन ,अ -मूल्य ,बेलट (मत पत्र ,वैलट /बटुवा )

    बेहतरीन प्रासंगिक गहरे बिम्ब संजोये जोश की खरोश की संवेदनाओं को उजागर करती रचना .

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  7. युग कोई भी रहा हो... मर्द के आहात दर्प का शिकार बस औरत ही होती आई है... एक सशक्त रचना!

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  8. युग कोई भी रहा हो... मर्द के आहात दर्प का शिकार बस औरत ही होती आई है... एक सशक्त रचना!

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  9. सार्थक रचना श्रीमन! हमें इस जागृति को अपने जीवन में भी सहजता से उतारना है !

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (महिला पर प्रभुत्व कायम) पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  11. सार्थक और सटीक रचना है |
    आशा

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  12. सटीक और सशक्त रचना

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  13. सशक्त रचना । बहुत उम्दा ।

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  14. plz visit and join the blog: http://maiqbaldelhi.blogspot.in/p/hindi-articles.html and send your valuable views/ comments

    regards,
    asif

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