Friday 8 February 2013

लुटेरे !

देश में आज लुट मची है। जिसको जहाँ मौका मिलता रहा है ,दोनों हाथ से लुट रहा है। नेता तो दशानन है, दश हाथ से लुट रहा  है, लेकिन बड़े  अफसर, सरकारी कर्मचारी ,उद्योगपति  भी पीछे नहीं हैं। लुट का माल ऐसे जमा कर रहे हैं जैसे मरने  के बाद भी सबको  गठरी बांध कर अपने साथ ले जायेंगे। स्वर्ग मिले  या नरक ,वहाँ बैठ कर खा सके कोई काम ना करना पड़े।  उन्हें यही बताना चाहते है कि खाली हाथ आये थे तुम खाली हाथ जाओगे फिर दुसरे के  मुहँ का निवाला  छीन कर अपनी मुसीबत क्यों बड़ा रहे हो ?
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गूगल से साभार 


लुटेरे ! लूटो चाहे जितना ,लूटकर कहाँ ले जाओगे?
तुम चले जाओगे एकदिन ,सब लुट यहीं रह जाएगी।

दो रोटी का पेट तेरा ,दश पर तू हाथ मारा
अति भोजन का  रोगी  बना,चार को तू भूखे मारा।

तड़प रहा तू ,तड़प रहा वह ,तड़प तड़प में है अंतर ,
तेरा तड़प खज़ाना भरना, उसका तड़प केवल पेट भरना।

लोलुपता ,विषमता छोड़ , खुदा  के खुदाई से तू प्यार कर ,
मैं ,तू, वो, सभी तो खुदा  की खुदाई है ,नफरत किस बात का?

रब ने बनाया सूर्य चन्द्र ,धरती और तारे अनेक ,
पर जीवन ह्रीन हैं, ग्रह नक्षत्र सब, जीवित केवल धरती एक

परमात्मा का अंश है आत्मा ,कोई अंतर नहीं आत्मा परमात्मा में,
नदी ,नाले के पानी मिलकर ,एक सामान हो जाते हैं महासागर में।

जब तक तेल है दिया में ,जलते  रहो, रौशनी दो जग को ,
तेल न रहेगा ,बुझ जाओगे ,काली चादर ढक लेगी जग को।


कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित















           

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर व् भावात्मक प्रस्तुति . एकदम सही बात कही है आपने ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस

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  2. लूट लूट कर ठूँठ बनाया जनता को,
    पीड़ा पर फिर दोष न देना जनता को।

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  3. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति |
    आशा

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  4. सही कहा आपने ,बहुत सुंदर बधाई

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  5. भावपूर्ण बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,,बधाई, कालीप्रसाद जी,,,,

    RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...

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  6. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |
    कभी समय मिले तो हुय्मारे ब्लॉग पर भी पधारें ...धन्यवाद

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  7. अभिव्यक्ति तो एक दम सार्थक है पर इसका एक दूसरा पहलु भी है के अगर ऐसे लूटेरे है तो उनकी सोच क्या है ? क्या वो अपने लिए लूट रहे हैं ? मेरा मानना यह है के इन जैसों की अपनी एक निजी सोच होती है के जितना लूटना खसोटना है सब एंटी कर लो | अगर हमारे काम नहीं भी आया तो क्या जायेगा हमारी पीढ़ियों के तो भाग जग जायेंगे | इसलिए ये लूटेरे कभी भी समाप्त नहीं हो सकते किसी भी तरह क्योंकि अरबों की आबादी वाले इस देश में करोड़ों ऐसी सोच वाले कीड़े हर जगह है | सुन्दर कविता | बधाई

    Tamasha-E-Zindagi
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  8. yahi haalat hai aaj desh ke ... atti sundar ..

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  9. बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय ।
    आभार ।।

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