Monday 9 September 2013

यादें



अलमारी को साफ़ करते करते
कुछ पुरानी  चीजों पर अचानक
जैसे ही नजर पड़  गई…….
हँसते खेलते ,लड़ते  झगड़ते
बचपन की याद
यूँ ही अनायास ताज़ा हो गई.……. 
ये पुरानी चीजें
जो यादों को सालों
सम्भाल कर रखती है ,
स्मृति के सही सच्चे पहरेदार हैं। 

वे सब दोस्त …….
दोस्तों के साथ गप्पें करना
बेफिक्र घूमना फिरना
पेड़ पर चढ़ना
तालाब में तैरना
पानी में छुपा छुपी का
खेल  खेलना  …. 
चिल चिलाती धुप में
सब से आँख बचाकर
सेठ के बगीचे से
आम,अमरुद चुराना
चुराकर दोस्तों में बाँट कर खाना
चौकीदार की लाठी की ठक ठक
आवाज सुनकर भाग जाना  ……… 
स्कुल में लंच की घंटी बजते ही 
खिड़की से कूदकर भागना 
गुमटी वाले दूकान जाना 
एक पैसे का आलू बंडा 
केक खरीदो हर एक आना 
आज तो केवल यादे है 
लौटकर नहीं आयेगा वो ज़माना …

 ……आँखे मूंदो तो लगता है
यह तो कल की बात है। 
पर समय का चक्र……… ???
चक्र बहुत घूम चका है ,
घूमकर बहुत आगे बढ़ चुका है। 
यह चक्र केवल आगे घूमता है
विपरीत दिशा में नहीं घूमता
यादों को याद ही रहने देता है
बचपन से मुलाकात नहीं कराता।
बचपन में बचपना है ,सभी को भाता है
एकबार जो बिछुड़ गया,फिर नहीं मिलता है।

कालीपद "प्रसाद "


© सर्वाधिकार सुरक्षित1


29 comments:

  1. यादें अमूल्य होती है इन्हें संभाल कर रखना चाहिए..्सुन्दर प्रस्तुति..मेरी नई पोस्ट में आप का स्वागत है..

    ReplyDelete
  2. बचपन की यादें ही होती हैं बीत जाने के बाद जो साथ रहती हैं उम्र भर ...

    ReplyDelete
  3. माना के एक बार गया हुआ वक्त वापस नहीं आता मगर यह बचपन का खज़ाना ही तो ज़िंदगी की पूंजी है जो एक खूबसूरत सी याद बनकर सदा आपके साथ रहती है, तो फिर जब वह सुनहरे पल आप से दूर हुए ही नहीं तो बिछड़ना कैसा :)

    ReplyDelete
  4. बहुत उम्दा कविता

    ReplyDelete
  5. यादों की सुन्दर स्मृतियाँ ,,
    गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए !

    RECENT POST : समझ में आया बापू .

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी लेखक मंच पर आप को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपके लिए यह हिंदी लेखक मंच तैयार है। हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपका योगदान हमारे लिए "अमोल" होगा |
    मैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003

    ReplyDelete
  7. बहुत बहुत आभार आपका !

    ReplyDelete
  8. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  9. बचपन की यादे कभी पीछा नहीं छोड़ती

    ReplyDelete
  10. यादें जितनी सुखद उन्हें समेट कर रखने वाली वो चीजें भी उतनी ही सुखद।

    ReplyDelete
  11. सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज मंगलवार (10-09-2013) को मंगलवारीय चर्चा 1364 --गणेशचतुर्थी पर विशेषमें "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    आप सबको गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  12. बढ़िया----
    आभार
    -

    ReplyDelete
  13. यादों में विचरण करते यही लगता है ...व्तो कल की ही बाते हैं .... सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  14. बचपन की शरारतों से भरी खुबसूरत रचना !!
    सच बचपन के वो दिन अब सिर्फ ख्वाबों में.… काश ! इसे लौटाया जा सकता

    ReplyDelete
  15. बहुत ही सुन्दर..स्मृतियाँ अमूल्य होती हैं !

    ReplyDelete
  16. बचपन की यादें, रह रहकर याद आती हैं।

    ReplyDelete
  17. बहुत ही सुंदर स्मृतियां, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  18. यादें....ये यादें....

    ReplyDelete
  19. गुजरा हुआ ज़माना कब लौट के आता है ,

    मन को हमेशा भाता है .

    ReplyDelete
  20. bachpan isi tarah reh reh kar yaad aata rehta hai

    ReplyDelete
  21. जीवन के नायब क्षणों की याद खुबसूरत

    ReplyDelete
  22. बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  23. आपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है…
    मैं स्वास्थ्य से संबंधित छेत्र में कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो कृपया यहां पर जायें
    वेबसाइट

    ReplyDelete