Friday 18 October 2013

महिषासुर बध (भाग तीन)



महिषासुर बध (भाग तीन)अन्तिम भाग 

 ७६
महिषासुर 
धरा भैंस का रूप 
गणों को त्रास |
७७ 
युद्ध आरम्भ 
गण सभी हतास 
मार खाकर |
७८ 
गणों की सेना 
मारे महिषासुर 
जीते असुर |
७९ 
जगदम्बा को 
क्रोध हुआ बहुत 
सिंह दहाड़े |
८० 
महिषासुर 
क्रोध में भर कर
खुरों भू खोदे |
८१ 
अपने सींगों 
ऊँचें ऊँचें पर्वतें
उठाके फेंके |
८२ 
क्रोध में भरे 
महादैत्य को देख 
अम्बिका क्रोधी |
८३ 
महा संग्राम 
हुआ पाश  बंधन 
महिषासुर |
८४ 
पाश  बंधन 
महान असुर को 
देवी ने किया |
८५ 
महिषासुर 
त्याग भैंस का रूप 
धरा सिंह के |
८६ 
जगदम्बा ज्यों 
सिंह माथा काटने 
उद्दत हुई....
८७ 
त्यों खड्गधारी 
पुरुष के रूप में 
दिखाई दिया |
८८ 
बाणों की वर्षा 
तब देवी ने किया 
भेदा पुरुष |
८९
 मायाबी दैत्य
गजराज के रूप
धारण किया |
९० 
सुढ़ से हाथी 
अम्बिका के सिंह को 
खींचने लगा |
९१
 तलवार से
काटी सुढ़ उसकी 
अम्बिका ने |
९२ 
महादैत्य ने
रूप धारण किया
पुन: भैंस का |
९३ 
क्रोध में भरी 
जगदम्बा चण्डिका
भृकुटी तानी |
९४ 
मधु का पान 
करके आँखें लाल 
हँसने लगी |
९५
हुआ उन्मत्त 
पराक्रमी राक्षस 
गर्जने लगा |
९६ 
फेंकने लगा
चण्डिका के ऊपर 
पर्वतों को भी |
९७ 
देवी अपने 
बाणों के समूह से 
चूर्ण करती |
९८ 
उनका मुख 
मधु मद से लाल 
दैत्य को बोली |
९९ 
ओ मूढ़मति !
मेरे मधु पीने की 
अवधी तक ......
१०० 
जी भरकर 
क्षणभर के लिए 
खूब गर्ज ले |
१०१ 
मेरे हाथों से 
तुम यहीं मरोगे
गर्जेंगे देव  |
१०२ 
यूँ कहकर 
उछल कर देवी 
थी दैत्य पर |
१०३ 
पैर से दबा 
उन्हें शूल से किया
कंठ आघात |
१०४ 
महिषासुर 
धरने लगा रूप 
दूसरा कोई |
१०५ 
आधे शरीर
बाहर निकला था 
भैंस रूप से |
१०६
देवी प्रभाव
नहीं निकला पूरा 
आधा अधुरा |
१०७ 
इस पर भी 
युद्ध करने लगा 
देवी से दैत्य |
१०८ 
देवी ने तब 
तलवार से काट 
मुंड गिराया |
१०९ 
दैत्यों की सारी 
सेनायें भाग गई
त्रासदी मची |
११० 
देवतागण
अत्यंत प्रसन्न हो 
नाचने लगे |
१११ 
देव महर्षि 
साथ स्तवन किये 
दुर्गा देवी का |
११२ 
जय जय  माँ 
जयध्वनि दुर्गा माँ 
धरा आकाश |
११३ 
समाप्त हुआ
किस्सा महिषासुर 
विराम दिया |
११४ 
मानव कष्ट 
दूर करो जननी 
अहम् नमामि |

कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित*

33 comments:

  1. nc sr
    haiku chhand wali bat / meri samjh me nahi aai

    ReplyDelete
    Replies
    1. छन्द का अर्थ होता है - मात्राओं या वर्णों का कोई निश्चित मान ,जिसके अनुसार किसी पद्य के चरण लिखे जाते हैं। हाइकू भी ५, ७ ,५ वर्णों का तीन पंक्तियों का वर्णिक छंद हुआ ना ?

      Delete
  2. हाइकु में सुन्दर प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  3. hiku mey maa ki itni sundar prastuti....superb

    ReplyDelete
  4. वाह क्या खूब अन्दाज़ है हाइकू के माध्यम से प्रस्तुत करने का

    ReplyDelete
  5. इस शैली का पार्श्व ध्वनि के रूप में मंचीय प्रयोग हो सकता है ! मौलिक !

    ReplyDelete
  6. मिश्रा जी ,आपका सुझाव उत्तम है |नृत्य नाटिका का मंचन हो सकता है |आभार

    ReplyDelete
  7. हाइकू के माध्यम से बेहतरीन प्रस्तुति !

    RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

    ReplyDelete
  8. सुन्दर.हाईकू द्वार भावो की अभिव्यक्ति की है ....आभार आप का..

    ReplyDelete
  9. सुन्दर हायकू के माध्यम से बढ़िया अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  10. आपका अनुभव और लेखन बेहद यथार्थ है। बहुत अच्छा लगा। बधाई और शुभकामना।

    ReplyDelete
  11. जगदम्बा को
    क्रोध हुआ बहुत
    सिंह दहाड़े |

    बड़े फलक की सुन्दर प्रस्तुति .

    ReplyDelete
  12. सुन्दर व सारगर्भित प्रस्तुति ... आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल 20/10/2013, रविवार ‘ब्लॉग प्रसारण’ http://blogprasaran.blogspot.in/ पर भी ... कृपया पधारें ..

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर महिषासुर वध का वर्णन। हाइकू सी शैली भी बहुत अच्छी लगी।

    ReplyDelete
  14. सुंदर लिखते हैं आप |हाइकू मेरे जैसे लोंगों के बस की बात नहीं ,वैसे भी आप प्रतिभाशाली हैं |

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुधीर कुमार जी ,आप भी प्रतिभाशाली हैं और आप आसानी से लिख सकते हैं , केवल नियमों का ध्यान रखिये |
      शुभकामनाएं |

      Delete
  15. सुन्दर भावपूर्ण हाइकू में तारतम्य बनाए ...

    ReplyDelete
  16. सशक्त कथात्मक हाइकु

    ReplyDelete
  17. कथा में कविता-----कविता में कथा
    गजब का प्रयोग,बहुत साल बाद इस तरह की रचना पढने मिली वह भी
    एक कथानक पर आधारित----विशेष हाइकू में
    भाई जी बहुत बहुत साधुवाद आपका
    सादर

    ReplyDelete
  18. पूरी कथा हाइकु में खूबसूरती से प्रस्तुत की ..... अंतिम हाइकु में जजनी की जगह जननी कर लें ....

    ReplyDelete
    Replies
    1. संगीता जी आभार ! मेरी नजर से कैसे बच गई पता नहीं लगा | सुधार दिया |

      Delete
  19. मै तो हाईकू एक दो भी लिख नहीं सकती आपने पूरी कथा हाईकू में
    लिख डाली :) वाकई बहुत अच्छा लगा पढ़कर !

    ReplyDelete
  20. आप सभी का मेरे ब्लॉग पर स्वागत है .एक बार ज़रूर पधारें... धन्यवाद.
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

    ReplyDelete
  21. नेटवर्क की सुविधा आज उपलब्ध होने पर उपस्थित हूँ | आप की यह रचना एक नया प्रयोग है
    हाइकू में प्रवंधन !

    ReplyDelete
  22. sundar haiku... khoob shundor likhechen dada

    ReplyDelete