Saturday 23 August 2014

क्या कहते हैं ये सपने ?



                                                                                      
गूगल से साभार



जब भी खो जाता हूँ
मैं नींद के आगोश में
सपने आकर चले जाते हैं
एक के बाद एक कतार में ,
किन्तु मुझे नहीं पता
क्या कहते हैं ये सपने |
बचपन बीता खेलकूद में
बेफिक्र मद मस्ती में
बिना पंख परवाज़ भरा
परियों के संगत में मैंने
किन्तु मुझे नहीं पता
क्या कहते हैं ये सपने |
उड़कर बैठे पेडों के ऊपर
नदी नालों को किया पार
मधुपान किया फुल फुल में
सैर किया हिमालय शिखर में
किन्तु मुझे नहीं पता कुछ
क्या कहते हैं ये सपने |
उम्र की सीडी ज्यों चडते गए
कुछ नए सपने आये और गए
यादों में कुछ ऐसा बसा नहीं
कुछ छाप नहीं छोड़ा जिंदगी में
इसीलिए मुझे नहीं पता कुछ
क्या कहते हैं ये सपने |
जिंदगी के इस पढाव में
बार बार क्यों आता है एक सपना
जाता हूँ प्रवास में मैं हरबार
खोकर आता हूँ सब सामान अपना
किन्तु कभी कुछ समझने ना दिया
क्या कहना चाहता है यह सपना |
ट्रेन से जाऊं या बस से जाऊं मैं
या जाऊं हवाई जहाज से ,
खो जाता है मेरा लगेज सब
मिले ना सामान,खोजूं चाहे लगन से|
कभी खो जाता है जुते मोज़े
कभी खो जाता है पेंट शर्ट,
कभी खो जाता है सब सामान
लौटता  हूँ घर खाली हाथ |
सपने सब पराये,नहीं हुए कोई अपने
नहीं पता मुझे, क्या कहते ये सपने|
लग रहा है मुझे भी अब
छुट रहा है कुछ ,इस जिंदगी में
उसको बताने केलिए आतुर है सपने,पर  
आ नहीं पाते ,रात कटती है जागरण में
इसीलिए  मुझे नहीं पता
क्या कहते हैं ये सपने |

कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित

36 comments:

  1. बहुत सुंदर है ये सपने :)

    ReplyDelete
  2. अंतर्मन को छूते

    ReplyDelete
  3. सपनों की दुनिया होती ही है निराली और रहस्यमयी ! बहुत सुन्दर रचना !

    ReplyDelete
  4. बढ़िया सुन्दर रचना , आ. धन्यवाद !
    Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
    इस लिंक पे ज़रूर पधारे क्योंकि आपकी पिछली पोस्ट " मै " की चर्चा की गयी थी , धन्यवाद !
    ~ I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ ~ ( ब्लॉग पोस्ट्स चर्चाकार )

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी रचiना से शीर्षक देने के लिए आभार आशीष भाई !

      Delete
  5. बहुत सुन्दर रचना. कुछ तो अर्थ होता है इन सपनों का, पर क्या, यह समझ नहीं आता, शायद पूर्वाभास होता है कुछ बातों का.

    ReplyDelete
  6. उम्दा रचना .... सपने जो सच हो वो अपने

    ReplyDelete
  7. sach mey bahut sundar rachna.....

    ReplyDelete
  8. आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 25 . 8 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी रचiना से शीर्षक देने के लिए आभार आशीष भाई !

      Delete
  9. आपका आभार कुलदीप ठाकुर जी !

    ReplyDelete
  10. सुन्दर विचार

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (25-08-2014) को "हमारा वज़ीफ़ा... " { चर्चामंच - 1716 } पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका आभार रूपचंद्र शास्त्री जी !

      Delete
  12. वाह !
    बहुत खूब !

    ReplyDelete
  13. बहुत अच्छी रचना आपकी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका आभार अभिषेक कुमार जी !

      Delete
  14. सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  15. बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका आभार कैलाश शर्मा जी !

      Delete
  16. सपने पूर्वाभास हो या बीती गटनाओं का परिणाम। असरदार तो होते हैं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. अभी तो किसी को स्वप्न फल की जानकारी नहीं है ,हो सकता है भविष्य में हो जाय !
      आपका आभार!

      Delete
  17. कृपया घटनाओं पढे गटनाओं के स्थान पर।

    ReplyDelete
  18. बढ़िया और एक भावनाओ से ओत प्रोत कविता
    कभी हमरे blog पर भी पधारे
    http://kanpurashish.blogspot.in/

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका आभार ताशिश जी ! जरुर आयेंगे आपभी आते रहिये !

      Delete
  19. आपका आभार स्मिता जी !

    ReplyDelete
  20. आपका आभार अनुषा जी !

    ReplyDelete
  21. आपका आभार उपासना जी !

    ReplyDelete
  22. याद रहें तो सोचने को विवश करते हैं सपने ...
    मन के भाव लिखे अहिं आपने इस माध्यम से ...

    ReplyDelete
  23. याद रहें तो सोचने को विवश करते हैं सपने ...
    मन के भाव लिखे अहिं आपने इस माध्यम से ...

    ReplyDelete