Friday 5 September 2014

गुरु कैसा हो !


शिक्षक दिवस पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं !


गुणगान तो होती है
गुरु की महिमा पर ,
उनकी उदारता ,ज्ञान गंभीर 
सहानुभूति और असीम प्यार पर |

गुरु का ह्रदय संकुचित न हो 
जिसमें धनी निर्धन में फर्क न हो
जात पात का भेद भाव ना करे आचार्य 
एकलव्य के साथ जैसा किया था द्रोणाचार्य |

कुम्हार वही है जो 
गीली मिट्टी को प्रयोज्य आकार दे ,
शिक्षक वही है जो 
निर्मल ह्रदय से 
बच्चों के निर्मल ह्रदय पर 
सार्थक चित्र खींच दें ,
इमानदारी से 
सफल जीवन यात्रा का
 रहस्य बता दें 
खुद आगे चलकर 
पगडण्डी का नींव डाल दें |

परिवर्तन के इस युग में 
विश्वबाजार के दौर में 
आजीविका का प्रश्न भी है !
समाज ,सरकार केवल 
गुरु से अपेक्षाएं न करे 
उनकी वाजिब 
आवश्यकताओं की पूर्ति करें |
ईमानदार होगा तब भारत 
भ्रष्टाचार से होगा मुक्त 
गुरु होगा पूज्य हर घर में 
भारत होगा पूज्य फिर विश्व में |

कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित

8 comments:

  1. बहुत ही सुंदर लेखन , शिक्षक दिवस कि शुभकामनाएं , धन्यवाद !
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  2. विकास का मूल आधार तो शिक्षक ही है ! पर उसे भी तो जीना है |अब कोइ सतयुग तो है नहीं कि
    वः त्यागी वैरागी हो जाए !

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  3. विकास का मूल आधार तो शिक्षक ही है |पर उसे भी तो जीना है | अब कोई सतयुग तो है नहीं कि वह त्याजागी वैरागी हो जाए !

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    1. अन्तिम छंद इसी के ऊपर है |

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  4. अच्छा प्रस्तुतीकरण !

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  5. सार्थक रचना

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  6. Sunder prastuti saarthak rachna...

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