Sunday 18 January 2015

तमन्ना इंसान की ......




तमन्ना इन्सान की...‘रब का रहस्य जान ले’
सृष्टिकर्ता के काम को अपने हाथ में ले ले l
पंडित ,पादरी ,मौलवी ,दूकान सजा रखा है  
ग्राहक को रिझाने में,इनमे कड़ा प्रतिस्पर्धा हैl 
रब में हैं ध्यान कम,दक्षिणा पर निर्भर पूजा  
तेईस घंटे ग्राहक सेवा ,एक घंटा रब की पूजा l  
सोचा क्या इन्सान कभी ,ऐसा दिन आयगा
शांत रहेगा महासागर ,पहाड़ पर उफान आयगा?
प्रकृति कहो,रब कहो या भजो कोई और नाम से
पर्दा नहीं हटा पायगा इंसान रब के पूरा रहस्य सेl 
आध्यामिक चर्चा में आते किन्तु, है आध्यात्म से दूर
कौवे जैसे कांव कांव ,श्रोता को है मनोरंजन भरपूर l
न खुद समझते ,न समझा पाते ,खुद हैं उलझन में
खुदा को क्या समझेंगे, खुदाई तो आये समझ में l 

कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित
                                                                                                                                                                                       

8 comments:

  1. विचारणीय प्रश्न...सुन्दर प्रस्तुति...

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  2. उस इश्वर की माया को इंसान समझ ले तो वो न खुदा बन जाए ...
    अर्थपूर्ण काव्य ..

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  3. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (19-01-2015) को ""आसमान में यदि घर होता..." (चर्चा - 1863) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आपका आभार डॉ रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक ' जी l

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  4. बहुत सार्थक चिंतन...

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  5. अर्थपूर्ण चिंतन आदरणीय बहुत खूब

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  6. बहुत सुन्दर एवं सार्थक.
    नई पोस्ट : मन का अनुराग

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  7. सुंदर कविता। लेखन काबिलेतारीफ है।

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