Tuesday 14 April 2015

दिल हिल गया है ! (ही )

कुसुम सा कोमल  काया  है
भ्रमित हूँ ,परी है कि  माया है ?

नजदीक से  जब गुज़रता उसके
मन का आँगन सुगंध से भर जाता है l

प्यार क्या है ? नहीं है पता ,किन्तु
दिल हर घड़ी उसका दीदार चाहता है l

एक बार जो छुआ उसको
तन-मन में भूचाल आ गया है  l


तितली सी उडती फिरती मन आँगन में
नज़रों में कभी  वो ,कभी उसकी परछाईयाँ  है l

उसकी नज़र से नज़र जो मिली
चुप थी वो ,पर मेरा दिल हिल गया है l

सलामत रहे वो कयामत तक
राम रहीम से यही मेरी दुआ है l



कालीपद 'प्रसाद'



5 comments:

  1. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण...

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  2. जो इतना प्यारा हो उसकी सलामती की दुआ तो अपने आप ही निकलती है ...
    अच्छी रचना ...

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