Saturday 16 May 2015

"काव्य सौरभ" की प्रतियाँ ऑन लाइन उपलब्ध है

यह सूचित करते हुए मुझे हर्ष हो रहा है कि मेरी कविता संग्रह "काव्य सौरभ " अब "www.BookGanga.com " में उपलब्ध है | इसे प्राप्त करने के लिए बुक गंगा के वेब साईट में जाकर सर्च  में 'uttkarsh praksashan meerut लिखकर सर्च करें तो उत्कर्ष प्रकाशन के सभी बुक्स के  लिस्ट आपके सामने होगा  या "काव्य सौरभ"  लिखकर भी सर्च कर सकते हैं |इस किताब की कीमत सभी शुल्क के साथ ९५ रु है .फ्री शिपिंग | आपसे सहयोग की आशा के साथ आभार !
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देवी बनाकर किया पूजा , बनाकर पत्थर,मिटटी की मूरत , बना दिया गूंगी, बहरी ,अंधी, अबला और अनपढ़ मुरख। पिंजड़े के पंछी इस पिंजड़े का चंचल पंछी उडता है केवल एक बार, पंख फैली उड़ा जो पंछी लौटकर नहीं आता दो बार।

Copy and WIN : http://ow.ly/KNICZ
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2 comments:

  1. शुक्रिया जानकारी का ... बधाई प्रकाशन की ...

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  2. आभार आपका दिगंबर नासवा जी

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