Monday 17 August 2015

कब मिलेगी इनसे आज़ादी ?





अंग्रेज़ शासक थे ,

बहुत रुढ़िवादी थे 

सोचते थे भारतवासी

कब मिलेगी इनसे आज़ादी ?

खाए सीने में गोली

खेले खून की होली

पर दिल में था अटूट विश्वास

लेकर रहेंगे अपनी आज़ादी |

साहस और शौर्य के आगे

अंग्रेज़ ने शीश झुकाया

पंद्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालिश

भारत ने आज़ादी का जश्न मनाया |

परतंत्र से मिली आज़ादी

खुश हुई पूरी देश की आबादी

किन्तु बाकि अभी था बहुत 

नहीं मिली थी पूर्ण आज़ादी |

अंग्रेज़ चले गए ,पर

अंग्रेज़ियत पीछे छोड़ गए

कुर्सी पर बैठने वाले सब

हिन्दुस्तानी अंग्रेज बन गए |

पूछती है जनता .........

गरीबी,महंगाई,अनाज की बर्बादी

कब मिलेगी इनसे हमें आज़ादी ?

भ्रष्टाचार और घोटाला,

करते हैं अफसर और नेता

उसका दंड भोगते हैं

देश की निर्दोष जनता |

परेशां जनता कह रही है.....

स्वार्थी न बनो नेता, न जड़वादी

जातिवाद,सांप्रदायिक उग्रवाद से

युवा बन रहे हैं अब आतंकवादी ,

समाप्त करो भेद-भाव की नीति

बताओ ,कब मिलेगी इनसे हमें आज़ादी ?

जनता अब ऊब गई है

संसद के तू-तू,मैं-मैं से,

बच्चे खेलना भूल गए हैं

झगड़ने की कला सीख रहे हैं

जनता के प्रतिनिधि से |

जनता मानती संसद को

“एक मंदिर शिष्टाचार का 

किन्तु ,अब संसद बन गया

“कुस्ती का एक अखाड़ा” |


गरीबी ,महंगाई ,परिवारवाद

असुरक्षा,साम्प्रदायिकता,जातिवाद

खोखला कर रहे हैं हिंदुस्तान को,

जनता ने चुना तुम्हे ,हो उनके प्रतिनिधि

पूंजीवाद को छोड़ अब बनो जनवादी

बताओ, कब मिलेगी हमें उनसे आज़ादी ?


© कालीपद ‘प्रसाद’

2 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मदनलाल ढींगरा जी की १०६ वीं पुण्यतिथि - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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