Thursday 20 September 2018

ग़ज़ल

राही’ तो राह चला करता है
डाह में दुष्ट जला करता है |

चाँद सा चेहरा’ जुल्फों में ज्यूँ 
चाँद बादल में छुपा करता है |

स्वच्छ आकाश में’ इक दो बादल
ज़ुल्फ़ का मेघ हुआ करता है |

प्यार में प्यार जताना हक़ है
प्रेमी इस राह चला करता है |

जख्म दिलदार दिया है, तो क्या
ज़ख्म हरहाल भरा करता है |

काम पूरा हो’ न हो,पर सबकी
रहनुमा बात सुना करता है |

खूबसूरत है.वफ़ा भी है क्या ?
वस्ल में शक्ल दगा करता है |

दिल जहाँ भग्न है, उस रोगी पर  
प्यार अक्शीर दवा करता है |

बेवफा प्रेयसी से गर हो प्यार 
प्यार में शूल चुभा करता है |

बेवफाई हुई इक दिन काली”
प्यार का बुर्ज़ ढहा करता है |


कालीपद 'प्रसाद 

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