धनाक्षरी ( मनहर) ८,८,८,७ (वसंत पञ्चमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनायें मित्रों )
सरस्वती नमस्तुते, विद्या वुद्धि प्रदायिनी
स्तुति अहं करिष्यामि, सर्व सौभाग्य दायिनी |
स्तुति अहं करिष्यामि, सर्व सौभाग्य दायिनी |
दिव्य ज्ञान दिव्य मूर्ति, धवल वस्त्र धारिणी
हंसारूढ़ा वीणा पाणि, हृद तम हारिणी |
हंसारूढ़ा वीणा पाणि, हृद तम हारिणी |
विश्व रुपे विशालाक्षी, ज्ञान प्रज्ञा प्रदायिनी
भक्त इच्छा पूर्णकारी, सिद्धि वर दायिनी |
भक्त इच्छा पूर्णकारी, सिद्धि वर दायिनी |
सर्व सिद्धि दात्री माता, तू ही तो है वेदमाता
तू अगर प्रसन्न है, प्रसन्न है विधाता |
तू अगर प्रसन्न है, प्रसन्न है विधाता |
तू ही शांति स्वरूपा है, सूक्ष्म रुपे अवस्थिता
देव दैत्य नर कपि, सब में तू पूजिता |
देव दैत्य नर कपि, सब में तू पूजिता |
माघ की शुक्ल पञ्चमी, माँ सरस्वती की पूजा
ज्ञान, कला, गान विद्या की देवी नहीं दूजा |
ज्ञान, कला, गान विद्या की देवी नहीं दूजा |
ज्ञान विज्ञानं रूप में, पूजूँ तुझे हर बार
श्रद्धा सुमन अर्पण, कर तू माँ स्वीकार |
श्रद्धा सुमन अर्पण, कर तू माँ स्वीकार |
कालीपद 'प्रसाद'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-01-2018) को "जीवित हुआ बसन्त" (चर्चा अंक-2857) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
बसन्तपंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत अच्छी स्तुति ..
ReplyDeletenice line Online Book Publisher in India
ReplyDeleteबसंत का सुखद और प्रेम भरा आगमन
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
बधाई
सादर
Nice post Diwali wishes 2018
ReplyDelete