जिसने भी किया "प्रेम "को सब्द जाल में बाँधने की दावा
निकल गया "प्रेम' उस बंधन से जैसे बंध मुट्ठी से हवा।
"प्रेम" न तो कोई हवा , न तरल , न घन रूप
मानता नहीं कोई बंधन , जात ,धर्म या रंग रूप।
"प्रेम " अदृश्य है ,पुष्प गंध जैसा भर देता है मन
एक एहसास है ,एक अनुभूति है , कहते हैं ज्ञानीजन।
कितना भी प्रयास करो ,कोई भी दो परिभाषा
शब्दों में व शक्ति कहाँ , बोल पाए " प्रेम " की भाषा।
"प्रेम " दिल में रहता है ,यह ख़ुशबू है दिल का
भरलेता है अपने आग़ोश में, जैसे ख़ुशबू गुलाब का।
"प्रेम" और "ईर्षा" सौतन हैं ,रहती साथ -साथ दिल में
रिश्ता उनके वैसे ही है जैसे , दो तलवार एक म्यान में।
सब चाहते हैं जीवन में उसके, "प्रेम" की धारा बहती रहे
दुष्ट "ईर्षा" घुसकर औरों में ,खड़ी हो जाती प्रेम के मार्ग में।
पर निकली जो एकबार उद्गम से ,रुकी नहीं कभी प्रेम की धारा
प्रमाण उसका है अनेक जैसे , लैला- मजनू और हीर-राँझा।
"ईर्षा" ने मार डाला लैला- मजनू जैसे कितने प्रेमी युगल को
पर "प्रेम" हो गया अमर , एहसास है इसका सारे जग को।
"प्रेम" शाश्वत है ,अदृश्य है ,
पर एहसास इसका है प्रकृति में
माँ के प्रगाढ़ चुम्बन में और
उसके गुन गुनाते लोरी में।
चोंच से दाना चुगाते चिड़ियों में,
बछड़े को दूध पिलाते गायों में
प्रेमी युगल के विरह में ........
............., उनके पुनर्मिलन में ,
फूलों पर मंडराते भौरों में ,
राखी बांधते भाई बहन की आँखों में,
न जाने कहाँ .....???
कितनो में ......???
किस रूप में .....???
कोई नहीं जानता प्रेम की प्रकृति
केवल है एक एहसास ...
एक अनुभूति ...!.
"प्रेम" का बीज दिल में रहता है ,
जब फूटता है ....,
बह जाता है झरनों की तरह कल-कल ,झर -झर ,
शब्दों का हो या और का ,बंधन नहीं कोई उसे स्वीकार ,
"प्रेम" उन्माद है , उन्मुक्त है ,वेगवान है ,
आपको है, मुझको है , सबको है ,एहसास यही ,
इसके सिवा और कुछ नहीं , प्यार है यही ।
प्यार अँधा है, प्यार ज्योति है ,
जब जल उठता है .......
जग-मग हो जाता है मन का आँगन
मन-मयूरी नाच उठता है और
पतझड़ में एहसास होता है वसन्त का आगमन,
चंचल और बेकाबू हो जाता है मन,
यही है प्यार !
इसको कौन करेगा इंकार ?
प्रेम श्रद्धा है ,प्रेम भक्ति है
प्रेम ईर्षा है ,प्रेम शक्ति है
प्रेम त्याग है , वलिदान भी है
प्रेम स्वार्थ है ,नि:स्वार्थ भी है
प्रेम संजीवनी है !
मुमूर्ष को जीवित करने वाला
"प्रेम" महा मृत्युंजय मंत्र है।
कालीपद "प्रसाद"
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