Wednesday, 27 April 2016

अनावृष्टि !* गीतिका



जलाशय सूखे, नहर, कुएं सब सुख गए
खेतों में पानी नहीं, जमीन में दरारे पड गए ||1||
दैवी प्रकोप है या, है यह प्रकृति का रोष
स्वार्थी बने मानव, दिल में दरार पड़ गए ||२||
बूंद बूंद पानी के लिए, खगवृन्द तरसते रहे
बिन पानी सबके प्राण, एक साथ निकल गए ||३||
सुखा पीड़ित घूँट घूँट पानी के लिए तरसते रहे
लाखों लीटर पानी, एक क्रिकेट मैंदान पी गए ||४|
‘प्रसाद’ कहे सुनो नेता, जनता को ना यूँ मारो
तुम्हारे खेल कूद, जनता पर भारी पड गए ||५||

कालीपद ‘प्रसाद’
© सर्वाधिकार सुरक्षित 

Thursday, 21 April 2016

मेरी प्रकाशित किताबें




   मित्रों ,
        मेरे दो काव्य संग्रह अब बाज़ार में उपलब्ध हैं l प्रथम काव्य संग्रह का शीर्षक है “काव्य सौरभ” |.यह संग्रह प्रति दिन घट रहे घटनाएँ जो हम देखते है, सुनते हैं जैसे सामाजिक ,राजनैतिक, आध्यात्मिक, भ्रष्टाचार,व्याभिचार इत्यादि विषयों पर आधारित है| इसमें प्रेमाभिव्यक्ति है,घृणा है, व्यंग है, भाव है, भक्ति है ,प्रार्थना है |












       

        द्वितीय काव्य संग्रह है “अँधेरे से उजाले की ओर “| जैसा की इसका नाम है यह एक प्रेरणा दायक रचना है | इसमें तीन भाग हैं| प्रथम भाग युवावों के लिए है ,दूसरा भाग प्रौड़ केलिए और तीसरा भाग वृद्ध एवं आध्यात्मिक तत्त्व में रूचि रखने वालों के लिए है परन्तु सभी लोग तीनों भागों का भरपूर आनन्द ले सकते हैं |

               ये दोनों पुस्तके पुणे {महाराष्ट्र } और जयपुर {राजस्थान} के “CROSS WORD “ बुक स्टोर , http://www.bookganga.com/eBooks/Books/details/4921894805939991869?BookName=Kavya-Sourabha and http://www.amazon.in/dp/938431241X/ref=cm_sw_r_fa_dp_ksDRwb0Q83G8J   में उपलब्ध है | पुस्तक अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे इसी दृष्टि से कीमत कम राखी गई है | प्रत्येक की कीमत केवल ९५/- रू है|

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कालीपद ‘प्रसाद’
मोब: ०९४२३२४५०८६, ०९६५७९२७९३१ (दोनों पुस्तक के आर्डर पर डाक खर्च फ्री )