Tuesday 27 November 2012

पर्यावरण



पेड़ लगाओ भाई पेड़ लगाओ
धरती को हरी-भरी बनाओ
पेड़ पौधे लता,धरती का है गहना
हरे गहने से धरती सजती है ,
पेड़ लगाओ ,धरती सजाओ
धरती को हरी भरी बनाओ
पेड़ लगाओ भाई पेड़ लगाओ।

धरती की प्यास बुझाने को
पेड़ ही बुलाता पावस को
पेड़ लगाओ और पावस बुलाओ
जग का प्यास बुझाने को
पेड़ लगाओ भाई पेड़ लगाओ।

पेड़ पौधे  हैं  तो प्राण-वायु है
प्राण नहीं तो धरती बंजर है
पशु ,पक्षी ,मानव सबका
भोजन का आधार पेड़ पौधे हैं
पेड़ लगाओ भाई पेड़ लगाओ।

सुजला सुफला हरित धरती
इसका रक्षक वृक्ष लता है
वृक्ष लता की रक्षा करो और
धरती बचाओ ,धरती बचाओ
पेड़ लगाओ भाई पेड़ लगाओ।

वृक्ष लता है तो सुन्दर वन है
वन है तो पशु पक्षी है
पशु पक्षी धरती की शान है
मनुज प्राणियों में प्रधान है
इन्हें बचाओ, धरती की शान बचाओ।

मनुज का अस्तित्व पर्यावरण है
वन  वचाओ  , पर्यावरण बचाओ
पर्यावरण बचाओ ,अपना अस्तित्व बचाओ
पेड़ लगाओ भाई पेड़ लगाओ।


कालिपद "प्रसाद"
© सर्वाधिकार सुरक्षित 

Wednesday 14 November 2012

हम बच्चे भारत के !








हम बच्चे भारत माँ  के ,चलेंगे सीना तान के
चल पड़े हैं राह में ,नया देश हम बनायेंगे,
विषमता हम मिटायेंगे ,समानता हम लायेंगे,
हम बच्चे  भारत माँ के , चलेंगे सीना तान के।

गाँधी नेहरू चाहे बन जाएँ ,रहेंगे हम भारत के
काम चाहे जो कुछ भी हो , करेंगे हम लगन से,
कोई न छोटा कोई न बड़ा ,ऐसा देश हम बनायेंगे
हम बच्चे  भारत माँ के , चलेंगे सीना तान के।  

देश के लिए जियेंगे हम , देश के लिए मरेंगे
हिन्दु मुश्लिम शिख इशाई, सबसे प्रेम बढायेंगे ,
जात-पात का भेद भाव को , हम बच्चे न मानेंगे ,
हम बच्चे  भारत माँ के , चलेंगे सीना तान के।

भारत एक है ,हम सब एक हैं ,यही हमारा नारा है ,
भारत माँ के हम बच्चे ,हम एक हैं ,हम एक हैं ,
कोई न हिन्दू ,कोई न मुश्लिम ,हम हैं नन्हे भारत माँ के
हम बच्चे  भारत माँ के , चलेंगे सीना तान के।

भारत है सुन्दर फुलवारी ,फुल हैं इसमें न्यारी न्यारी ,
जूही ,गुलाब ,च,म्पा ,चमेली,ख़ुशबू के भाषा में बोली
विनम्र  हैं, कमजोर नही , हम हैं भविष्य भारत के ,
हम बच्चे  भारत माँ के , चलेंगे सीना तान के।

लाल पीले हरे नीले ,रंग-विरंगे फुल हैं खिले
सब गुथे हैं  भारत सूत्र में , जैसे एक माला के मनके ,
प्रण  करते हैं मिलकर सब , तिरंगे को न झुकने देंगे
हम बच्चे  भारत माँ के , चलेंगे सीना तान के।


बाल दिवस के अवसर पर यह गीत भारत के  बच्चों को समर्पित है।

 

कालीपद "प्रसाद'

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Tuesday 6 November 2012

दीप की दुआएँ






मेरी अरमान तुम्हारे हाथ में है
तुम इसकी ख्याल करो ,
मुझे जलाकर तुम्हे ख़ुशी मिलती है ?
मुझे जला दो।
जलना मेरी नियति  है ,
रौशनी फैलाना मेरा काम है .
अँधेरा चाहे कहीं भी हो
उसे दूर करना मेरा फ़र्ज है।
अरमान है, कि दूर करूँ अँधेरा जग का
और जगमगाए यह जग सारा ,
हर दिन हर पल खुशियाँ बाँटू घर घर में ,
हर दिन मनाये दिवाली या दशहरा।

मैं तुम्हे अपनी जीवन ज्योति दिए देता हूँ
इससे तुम अपना मंदिर उजाला कर लो
अमावश् में ख़ुशी ख़ुशी दीपावली मना लो।
अवसर तुम्हारे हाथ में है
तुम अपने घर में उजाला कर लो
या औरों के घर में आग लगा दो
लेकिन मेरी नहीं तो
अपनी अरमान का ख्याल करो।

मुझ पर रहम मत करो
मुझको जलने दो ,
जलने में ही मुझे ख़ुशी है
क्योंकि तुम खुश हो। .
तिल तिल जलकर मैं
अनंत में मिल जाऊंगा
अनंत तक तुम्हारा यश फैले
आशीष यही दिए जाऊंगा।

रौशनी रहे सदा जीवन में तुम्हारे
अँधेरा न कभी छू पाए तुम्हे
अलक्ष्मी दूर भाग जाएँ और
सर पर तुम्हारे सदा लक्ष्मी का हाथ रहे।

दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं !!!

कालीपद "प्रसाद"
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