चोरों की वस्ती
चोरों की वस्तियाँ हैं
चोरों की वस्तियाँ हैं
एक चोर राजा हैं, दूसरा चोर मंत्री हैं !
कोटवार चोर हो ,चोर ही संत्री हो जहाँ ,
जनता की संपत्ति , रास्ट्र की संपत्ति ,
सोचिये कितना निरापद हैं vaहाँ !
सीधा साधा एक नागरिक
आवाज उठाया " चोरी बंद करो "
"राष्ट्र की संपत्ति , राष्ट्र को वापस करो "
नागरिक सभी उसके स्वर में स्वर मिलाया
राजधानी में धरना दिया .
राजा घबराया , मंत्री को तलब किया
मंत्री अपने काम में माहिर था .
देश के कानून जानता था
उसने एलान किया
" इस देश में चोरी रोकने का कोई कानून नहीं हैं
और
चोरी का मॉल वापस करने का प्रावधान नहीं हैं! "
जनता ने मंत्री से कहा ,
"ऐसा कानून बनाओं जिसमे
चोरों को शक्त सज़ा हो , और
चोरी का मॉल वापस करने का प्रावधान हो ."
मन्त्री ने कहा ,
हम शक्त कानून का मसौदा बना देंगे
सदन के पटल पर भी रख देंगे
परन्तु वह पास हो जायगा
इसका गैरान्टी नहीं दे सकेंगे .
क्योंकि
कानून बनाने वाले जानबूझ कर
अपने पैर पर कुल्हाड़ी क्यों मारेंगे !
मंत्री जी ने कानून का ऐसा ख़ाका बनाया
जो किसी के भी समझ न आया .
किसी ने मंत्री को नौशिखिया
तो किसी ने बच्चा बताया .
किसी ने कहा "मंत्री जी ने ऐसा जलेबी बनाया
जिसका हर मोड़ हर घेरा
चोर पकड़ने के लिए नहीं
यह है चोर के लिये रक्षा किला ".
उद्द्येश्य जब सदस्यों को समझ आया
व्हयस व्होट से उसे पास कराया .
ऊपरी सदन जिसमे अनुभवी, वुद्धिमान लोग हैं
वही किया जो मत्री जी चाहते थे ,
मसौदा को लटका दिया .
जनता भ्रमित हो रही है
उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है
किसे विश्वास करे और किसे न करे
लल्लू पंजू को छोड़िये
दिग्गज भी हैं कठघरे में .
जिसने पुरज़ोर समर्थन किया था नीचले सदन में
ऊपरी सदन में वे बदल गए .
जनता ने मंत्री से कहा ,
"ऐसा कानून बनाओं जिसमे
चोरों को शक्त सज़ा हो , और
चोरी का मॉल वापस करने का प्रावधान हो ."
मन्त्री ने कहा ,
हम शक्त कानून का मसौदा बना देंगे
सदन के पटल पर भी रख देंगे
परन्तु वह पास हो जायगा
इसका गैरान्टी नहीं दे सकेंगे .
क्योंकि
कानून बनाने वाले जानबूझ कर
अपने पैर पर कुल्हाड़ी क्यों मारेंगे !
मंत्री जी ने कानून का ऐसा ख़ाका बनाया
जो किसी के भी समझ न आया .
किसी ने मंत्री को नौशिखिया
तो किसी ने बच्चा बताया .
किसी ने कहा "मंत्री जी ने ऐसा जलेबी बनाया
जिसका हर मोड़ हर घेरा
चोर पकड़ने के लिए नहीं
यह है चोर के लिये रक्षा किला ".
उद्द्येश्य जब सदस्यों को समझ आया
व्हयस व्होट से उसे पास कराया .
ऊपरी सदन जिसमे अनुभवी, वुद्धिमान लोग हैं
वही किया जो मत्री जी चाहते थे ,
मसौदा को लटका दिया .
जनता भ्रमित हो रही है
उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है
किसे विश्वास करे और किसे न करे
लल्लू पंजू को छोड़िये
दिग्गज भी हैं कठघरे में .
जिसने पुरज़ोर समर्थन किया था नीचले सदन में
ऊपरी सदन में वे बदल गए .
रचना : कालिपद "प्रसाद"
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