Tuesday 24 April 2018

ग़ज़ल


सब पार्टियाँ झगड़ती’ हमेशा, कमाल है
संकट में’ देश एक है’ यह बेमिशाल है |

आलोचना सदैव भला, लोकतंत्र में 
अभियोग सर्वदा बना’ बचने का’ ढाल है |

छोटे शहर में’ जीत गए? दिल्ली’ दूर है
मदहोश हो ख़ुशी से’ लगाया गुलाल है |

यह राजनीति है बुरा मासूम के लिए
मदपान गोष्टी’ में सुरा त्यागी की’ हाल है |

उन्नीस का चुनाव बना आन बान अब
दंगा फसाद मौत, यही तो बवाल है |

जब न्याय कठघड़े खड़ा’, तब लोग क्या करे
कुछ कर न सकने’ का यही’ सबको मलाल है  |

मुद्रा कमी बहुत हो’ गई ए टी’ एम में
फिर नोट बंदी’ की नई’ क्या गुप्त चाल है ?

जनता नहीं रही अभी’ ‘काली’ गऊ समान
अब बाँधने उन्हें है’ बिछा एक जाल है  |

कालीपद 'प्रसाद'

Thursday 19 April 2018

ग़ज़ल


गाली गलौच में’ सभी बेबाक हो गए
धोये जो’ राजनीति से’, तो पाक हो गए |
कर लो सभी कुकर्म, हो’ चाहे बतात्कार
सत्ता शरण गए है’ अगर, पाक हो गए |
अब रहनुमा अवाम से धोखा न ही करे
मासूम आम लोग भी’ चालाक हो गए |
वादा किया है’ किन्तु निभाया नहीं कभी
अब नेता’ संग आम भी बेबाक हो गए |
उपयोग आपका किया’ नेता चुनाव में
फीर आप उनकी’ नज्र में’ खासाक हो गए |
दर दर कभी भटकते’ थे’ भिक्षा के लिए
मंदिर में बैठ कर अभी वे चाक हो गए |
बलमा के बेवफाई से’ दिल चूर चूर थे
हरदम मचलते’ थे कभी, अब ख़ाक हो गए |
बेहद कठोर थी सज़ा ‘काली’ लगा क़ज़ा
सुनकर सखा अदू, सभी गमनाक हो गए |
शब्दार्थ: – बेबाक= निर्लज्ज, मुँहफट
खासाक =कूड़ा करकट ,पाक=पवित्र
चाक= मोटा, हृष्ट पुष्ट , ख़ाक=मिटटी
मनाक = दुखी , अदू =दुश्मन
कालीपद 'प्रसाद'

Thursday 12 April 2018

अतुकांत कविता


आरक्षण – एक भष्मासुर

आरक्षण एक भष्मासुर है
जिनलोगों ने इसकी सृष्टि की
शिव जी की भांति वही आज
उससे बचने के लिए
इधर उधर भाग रहे हैं,
अपने कर्मों पर पछता रहे हैं |
काम धंधे में, शिक्षा शिक्षण में
शासन में, प्रजापालन में
सेवा में, दान दक्षिणा पाने में,
सब में आरक्षण चला आ रहा है
सनातन काल से |
मनुष्य के पिता मनु का
आरक्षण नीति है यह |
शिक्षा गुरु ब्राहमण
मंदिर में ब्राहमण पुजारी का आरक्षण
शासन में क्षत्रिय का आरक्षण
वित्त में वैश्य एवं सेवा में  
शूद्रों का एकक्षत्र आरक्षण |
इन आरक्षणों से सभी खुश थे
केवल शूद्रों को छोड़कर |
आज का संविधान
सनातन आरक्षण का है विस्तारण |
पूजा से लेकर जूता पालिस 
सभी कर्म सब कर सके
इसका ही विवरण |
शिक्षा में, शासन में,
सभी काम धंधों में
आबादी के हिसाब से
सबको मिला है आरक्षण |
प्रजातंत्र का लाभ सबको
न्यायोचित रूप से मिले
संविधान देता संरक्षण |
इससे पुराने आरक्षितों को
परेशानी हो रही है,
उनका एकाधिकार छुट रहा है,
इसीलिए बार बार
संविधान को बदलने की बात कर रहे है |
मंदिर में अब गैर ब्राह्मण
पुजारी बन्ने लगे हैं,
शादी व्याह,नारी पुरोहित कराने लगी है,
प्रशासन के उच्चतम पद पर
दलित बैठने लगे हैं,
स्त्री और दलित शिक्षा के विरोधी के बच्चे
अब उनसे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं |
गुरु में अब भक्ति नहीं रह गई
समाज में एकलव्यों की कमी हो गई है,
दक्षिणा के बदले अब अंगूठा दिखा रहा है |
पुराने आरक्षित लोग
योग्यता (मेरिट)के नाम पर
खून के आंसू बहा रहे हैं |
वे भूल जाते हैं कि
बिहार में योग्यतम व्यक्ति
जेल में हवा खाए हैं ,
व्यापम स्कैम में योग्यता
हासिल करने वाले
औरों की योग्यता पर
ऊँगली उठाते है |
योग्यता में लड़के
लड़कियों से पिछड़ गए हैं
फिर भी लड़कियों के लिए
आरक्षण की मांग हो रही है
क्योंकि, सदियों से वंचित, पीड़ित हैं ,
पिछड़े भी तो सदियों से वंचित, पीड़ित हैं |
आरक्षण आज भष्मासुर है,
गुर्जर, जाट, पटेल सबको
आरक्षण चाहिए |
नेता वोट के लिए वादा करते हैं
फिर पीछे हट जाते हैं |
आज के नेता
कल के मनु हैं,
अपने स्वार्थ में
आरक्षण को
अनादि काल तक
चालु रखना चाहते हैं |

सुनो ! भारत के नेताओं
भारत का नाम बदल दो
इसका नाम ‘आरक्षित देश’ कर दो
ब्राह्मण,क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र
मुस्लिम, क्रिश्चियन, पारसी
और जो भी है आदिवासी
आबादी के हिसाब से सबको
समुचित आरक्षण दे दो  
कोई शिकायत न हो
ऐसी व्यवस्था कर दो
सबके गिले दूर कर दो |


कालीपद 'प्रसाद'