Tuesday, 31 December 2013

नया वर्ष ! **

             प्रकृति है निरंतर ,न कुछ नया न कुछ पुराना
                                                                   







                                                                         
                                               



प्रकृति चलती है अपनी गति से
हर पल कदम बढाती है धीरे से
करती है समय का माप दिन रात्रि से
छै मौसम में भ्रमण करती अपनी गति से |

न कोई घडी है न कोई चौघडी
न कोई दिन नया ,न कोई  रात पुरानी
दिन रात्रि आते जाते हैं एक के बाद एक
बीत गए दिनरात्रि ,सप्ताह, माह, वर्ष अनेक |

प्रकृति के लिए न कोई साल नया
 न कोई साल प्रकृति मानती पुराना
प्रकृति जानती केवल बीता हुआ समय है
वर्तमान आज है और भविष्य काल है |

प्रकृति नहीं मनाती नया साल का उत्सव
किन्तु दिखाती है, हर मौसम का तेवर |
ग्रीष्म में तड़पाती जीव को ,सुखाती है धरती
खुलकर बरसती पावस में ,होती जलमग्न धरती  |

वसन्त में खुश होती प्रकृति ,हंसती फूलों की हँसी
फुल फुल घुमती तितली, होकर मधु की प्यासी |
शीत का मौसम है कष्टदायी तो कहीं है सुहानी
बदन में धुंधला  चादर, मस्तक पर सफ़ेद ओढ़नी|

शरद, हेमन्त शांति के मौसम ,धरती रहती शांत
शुभ्र कपसिले बादल उड़ते जाते हैं दिग दिगन्त |
नया क्या  है ,क्या है पुराना?मौसम आते जाते है
जाने वाले की विदाई न आनेवाले का स्वागत करते है |

मानव मनाते जश्न नया साल की भूलकर प्रकृति को 
आडम्बर का प्रदर्शन है , मज़ाक उड़ाता गरीब को |
मानव निर्मित तिथि-पत्र मान, नव वर्ष तुम मनाना 
पर गरीब जो है ,अपने ख़ुशी में उन्हें भी शामिल करना |



आप सबको नया वर्ष २०१४ मुबारक हो |मंगलमय हो |

    कालीपद "प्रसाद "


©सर्वाधिकार सुरक्षित








Wednesday, 25 December 2013

मेरे सपनो के रामराज्य (भाग तीन -अन्तिम भाग)



मेरे सपनों  के रामराज्य (भाग २ से आगे )



आदेश सुनकर बेहोश हुए कुछ
कुछ ने किया विलाप ,
काली कमाई से अलग होने का दुःख
नहीं सह पाये पुत्र ,और न  बाप |

मेरी इच्छा ,ईश्वर इच्छा
अमान्य ना कर पाये  कोई
रोते रोते वापस किया काली कमाई 
सरकारी खजाना खाली न रहा कोई|

विदेश में पड़े काला धन को
किया ट्रान्सफर सरकारी खाते में
किया इन्वेस्ट उस धन को
देश के बुनियादी उद्योगों में |

 देश के महालेखा अधिकारी ने
गणना कर बताया हमको ,
सौ साल तक टैक्स की जरुरत नहीं
आयकर मुक्त करें जनता को |

महालेखा अधिकारी की संस्तुति
निर्विरोध हम सब ने मान लिया ,
जनता को किया आयकर मुक्त
भ्रष्टाचार उन्मूलन का आगाज़ किया |

जनता खुश हम भी खुश
न कोई टैक्स न कोई चोरी
न कोई देनेवाला ,न कोई लेनेवाला
कोई नहीं है भ्रष्टाचारी |

रामराज्य का परिकल्पना
बहुतो ने किया था ,
सत्ता के  लालच में  सब ने
राम को भी  भुला बैठा था !

हमने लाया रामराज्य
ख़ुशी से झूम उठी प्रजा ,
उठाके मुझे बैठाया सिंहासन पर
मुझ को बना दिया राजा |

किया हुक्म जारी मैंने
सुनो सब खुनी ,बलात्कारी
शुरू करो राम राम जपना
अलविदा कहने की कर लो तैयारी |

जल्लाद तैयार ,फांसी का फंदा तैयार 
और तैयार मजिस्ट्रेट  मोक्तार 
चल रही थी घडी टिक टिक टिक
 केवल था मजिस्ट्रेट की आदेश का इंतज़ार |

उठो ,उठो ,बुलन्द आवाज  का 
तभी धमाका सुनाई दिया ,
झक झोरकर ,पकड़कर मुझे 
श्रीमती ने नींद से मुझे जगा दिया |

बोल रही थी "रातभर जगकर
फ़ालतू ब्लॉग लिखते रहते हो 
दिन में सब काम छोड़कर 
चद्दर तानकर सोते रहते हो !"

श्रीमती की मुलायम आवाज़ 
कान को प्रिय लग रही  थी,
किन्तु बाहर वाले सोच रहे थे

 कि वो हमको डांट रही थी |

आँख बंद थी  तो देखा था 
बैठा था मैं रत्न सिंहासन पर 
आँख खुली तो देखा मैंने 
बैठा हूँ पुरानी चारपाई पर |

मेरा सुन्दर सपना और 
परिकल्पना रामराज्य का 
मिटा दिया एक झटके में 
निष्फल हुआ वर विष्णु भगवान का |


    कालीपद "प्रसाद "


© सर्वाधिकार सुरक्षित







Saturday, 21 December 2013

मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )

मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग १ ) से आगे

     
शाष्टांग प्रणाम किया मैं 
जगस्रष्टा ,जग नियंता को 
'वर' पाकर धन्य हो गया मैं 
सोचा -पहले सुधारूँगा भारत को|

पहुँच कर मैं भारत भूमिपर 
पहली इच्छा प्रगट किया
"सौ लोग आ जाये मेरे पास"
वरदान का मैं परीक्षण किया |

देखते ही देखते इकठ्ठा हो गए 
आज्ञाकारी लोगों का एक दल 
नत मस्तक अभिवादन किया मुझे 
बढ़ा मेरा  विश्वास और आत्म बल |

सुनो भाइयों सौ प्यारे मेरे 
करना है हमें एक नेक काम 
निर्मूल करना भ्रष्टाचार को 
दुष्टों से मुक्त करना भारत धाम |

सभी चैनेलों में ,सभी पत्रिकाओं में 
करो यह शुभ समाचार प्रसार 
भ्रष्टाचार मिटाने ,सुशासन करने 
कलि-दुत का हो गया अवतार |

वही होगा प्रधान मंत्री तुम्हारा
उनको दो तुम अपना व्होट 
उनका है 'सुशासन "पार्टी 
"सुशासन " को मिले हरेक व्होट |

व्होटिंग हुआ नारे लगे अनेक 
पर सब चारो खाने हो गए  चित
सबके  सब का जमानत जब्त 
हम जीते, सुशासन की विशाल जीत |

हो गया कमाल ,जीत गए इलेक्सन 
बन गया मैं भारत का प्रधानमंत्री 
हकाल कर बाहर किया भ्रष्टाचारियों ,
बाहुबलियों को जो बन बैठे  थे मंत्री |

बहुमत हमारी थी ,जनता  भी हमारी
करना था गिन गिनकर सारे नेक काम
जन लोक पाल बिल को पास किया
देने भ्रष्टाचारियों को उचित इनाम |

चाहा मैंने -वे नेता ,अधिकारी सब 
हो जाये हाज़िर मेरे आम दरवार में 
जिसने भी लुटा सरकारी खज़ाना 
सरकारी ठेका या और कोई बहाने में |

देखा सभी दल के बड़े नेता ,उसके बाप को 
बाप के बाप और उसके  परदादा को
कुछ तो आये थे पेरोल पर स्वर्ग-नरक से
मेरे ऐतिहासिक फैसला सुनने को |

सबने लुटा भारत  के खजाने को
किया भारत देश को कमजोर 
मेरी चाहत के आगे अब नहीं चलेगा 
किसी भ्रष्टाचारी ,बाहुबलियों का जोर |

किया एलान ," पूर्व मंत्री,मंत्री ,सब अधिकारी 
यदि बचना चाहते हो ,तो इस पर ध्यान  दो
साठ साल में जो भी लुटा खजाने से तुमने 
इमानदारी से खजाने में उसे लौटा दो |

कर देगी जनता माफ़ तुम्हे 
बच जाओगे कैद के बंधन से 
अन्यथा नहीं बच पाओगे
साठ साल के कारवास से 

हमारी इच्छा  ईश्वर इच्छा जानो 
इमानदारी से करो इसका सम्मान 
मुक्ति पाओगे हर कष्ट से इस जग में 
बचा रहेगा तुम्हारा और परिवार का मान |

...............क्रमशः भाग ३ ..


     कालीपद "प्रसाद "


©सर्वाधिकार सुरक्षित

Wednesday, 18 December 2013

मेरे सपनों का रामराज्य (भाग १)

सुन सुन कर नेताओं  के
कोमल कर्कश वाणी ,
क्या समझे और क्या न समझे
हमें होती है हैरानी |

सोचते सोचते आँख लग गई
देखा एक सपना अनोखा ,
विष्णुलोक पहुँच गया मैं
लक्ष्मी नायायण का दर्शन किया |

चरणस्पर्श कर माता लक्ष्मी का
और भवसागर के पालक का ,
कहा ,"प्रभु !प्रोमोदित हो तुम गोलोक में
देखो ज़रा हाल भव-संसार का |

स्वर्ग तुल्य भारत भूमि में
हो गया है मानवता का नाश ,
मानव का कलेवर है सबका
आचार विचार से है राक्षस |

भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं
पैर से सर तक शासक वर्ग
महंगाई और शोषण का शिकार
हो रहे हैं निम्न और माध्यम वर्ग |

अत्याचार ,व्यभिचार ,बलात्कार
हो गया है एक मामूली बात ,
गाली गलौज तो जैसे फुल बरसता है
कत्ले आम होती है दिन रात |

भाई, भाई का खून का प्याषा
घर में ,बाहर में फैला है निराशा
एटम बम्ब के त्रास से भयभीत
फट जाय  तो बचने की  नहीं आशा |

सत्य का हनन ,असत्य का विजय
यही है कलियुग  का प्रिय नारा
बाहू बालियों का राज है अब
जनता हो गई  गौ बेचारा |

त्याग दिया क्या धरती पर आना
भूल गए क्या अपना वचन ?
धर्म की  रक्षा के  लिए धरती पर
जनम लेकर करना है दुष्टों का दमन |"

प्रभु बोले ," व्याकुल क्यों  वत्स
सुनो मेरी बात पूर्ण ध्यान से
कलियुग के अन्तिम  चरण में
कोई नहीं बंधे धर्म -कानून से |

दुष्कर्मों का घड़ा जब भर जायेगा
मारेंगे, मरेंगे सब चींटी जैसे
होगा विनाश समूल पापिओं का
द्वापर में मरे यदुकुल जैसे |"

निवेदन किया मैंने प्रभु से
एक बार फिर विनम्र होकर
"मानवता की करो रक्षा
धर्म को बचाओ अवतार लेकर |"

प्रभु बोले ,"आया नहीं अवतार का समय
नहीं जा सकता अभी धरती पर
तुम्हे देता हूँ एक अमोघ शक्ति
जाओ राज करो धरती पर |

तुम जो चाहोगे वही होगा
तुम जो कहोगे ,लोग वही करेंगे
कोई नहीं होगा जग में ऐसा
जो तुम्हारा विरोध कर पायेंगे |

दुष्टों को दण्डित करो और
धर्म राज्य  का स्थापन करो
भ्रष्टाचारी ,बलात्कारी को दण्डित करो
शोषित और नारी को भय मुक्त करो |

तुम्हे देता हूँ वरदान वत्स
होगे तुम सफल इस काम में
सु-शासन और सुविचार का
प्रचार करो जाकर जग में |"



           .................. क्रमश:-भाग २

कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित



Saturday, 14 December 2013

विरोध

                                             
गूगले से साभार




चुनाव का माहौल है 
चारो ओर हवा गरम है 
दिल दिमाग में गर्मी है 
आरोप प्रत्यारोप का दौर 
अब चरम सीमा पर है |
गाली गलौज का नया 
शब्दकोष बन रहा है 
पुराने शब्द ,परिभाषाएं 
और अर्थ बदल रहे हैं |
एक पार्टी का नेता 
दुसरे पार्टी के नेतो को 
गधा  क्या कह दिया..,
गधों ने विरोध में 
सड़क जाम कर दिया |
कहा ,"हम मेहनती हैं,
सहनशील हैं ,इमानदार हैं ,
अपना मेहनत का खाते हैं|
इन श्रेष्ट गुणों से रहित 
नेताओं की  तुलना
गधों से करना ......
गधों का अपमान है |
नेता बिना सर्त माफ़ी मागे 
यही हमारा नारा है |"

नेता स्वार्थ सिद्धि के लिए 
हर चुनाव में पार्टी बदलते हैं ,
जिसने उसे राजनीति का पाठ पढ़ाया है
उसी गुरु को धोखा दिया है |
गुरु ने कहा ,"नमक हराम,
विश्वास घातक  कुत्ते .........
नहीं ,तुम तो कुत्ते से भी बदतर हो |"
कुत्तों ने इस बात का विरोध किया है 
स्वार्थी ,धोखेबाज नेताओं को कुत्ता कहना 
स्वाभिमानी ,स्वामीभक्त कुत्तों का अपमान है|
कुत्तों के नेता ने इसे संसद में 
उठाने का वादा किया है |

संसदीय नया शब्दावली बड़ा प्यारा है 
ठेके में दलाली खाने वाला चोर है 
स्कैम को अंजाम देनेवाला चोरों का सरदार है 
ईमान को बेचने वाले बेईमान है 
चीत भी मेरी पट भी मेरी ........
वह दो मुह इन्सान है |
किसी को तगमा दिया जर्सी गाय ,कोई बछड़ा 
कोई पपेट ,कोई रिमोट , तो कोई मुखड़ा 
कोई खाता  है कोयला तो कोई खाता है चारा 
सत्ता के लालच में खाते चप्पल भी बेचारा |
टेबिल,कुर्सी ,माइक तोडना ,चीखना चिल्लाना 
नई संस्कृति का जन्मदाता है 
पूजनीय ???????
सांसद हमारा |


   कालीपद"प्रसाद "


© सर्वाधिकार सुरक्षित  
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