Thursday 27 February 2014

तुम कौन हो ?

       

  शक्तिहीन शव से शक्तिपुंज शिव का गुण अनन्त है, जिसे ना गिना जा सकता है ना नापा जा सकता है l यह तो पुष्प की कुछ पंखुड़ियां अर्पित करने का प्रयास मात्र है l 
           ॐ नम: शिवाय !!!


किसी ने तुम्हे देखा नहीं
तुम अदृश्य हो l
कोई  तुम्हे छू सकता नहीं 
तुम अस्पृश्य हो l
कोई तुम्हे सुन सकता नहीं
तुम अश्रब्य हो l
तुम क्या हो कभी कहा नहीं
तुम अव्यक्त हो l
किसी ने तुम्हे जाना नहीं
तुम अज्ञेय हो l
बिना जाने हम सब तुम्हे भजते हैं
इसीलिए तुम भगवान हो l

पल पल तुम साथ रहते हो
तुम निरंतर  हो l
कण कण में तुम विद्यमान हो
तुम सर्वभूत हो l
सर्वशक्ति का आधार हो
तुम शक्तिश्रोत हो l
सर्वशक्ति तुम में निहित है
तुम सर्वशक्तिमान हो l
आग तुम्हे जला सकता नहीं
तुम अदाह्य हो l  
जल तुम्हे भिगो सकता नहीं
तुम अनाद्र हो l
हवा तुम्हे सुखा सकता नहीं
तुम अशुष्क हो l 
उत्पत्ति का आधार, भग-लिंग संगम हो
इसीलिए तुम भगवान हो l

कोई तुम्हारा शुरू( आदि )नहीं 
तुम अनादि हो l   
कोई तुम्हारा अंत नहीं 
तुम अनन्त हो l
तुम्हारा नाश होता नहीं 
तुम अविनाशी हो l
तुम कभी मरते नहीं 
तुम मृत्युहीन(अमर्त्य ) हो l
सनातन ,नित्य ,कालजयी ,जिवंत हो
मानते है हम, तुम भगवान हो l 

आधा नर आधी नारी हो
तुम अर्धनारीश्वर हो l
तुम शक्ति कल्पना से परे हो
तुम पराशक्ति हो l
आत्मा पर नियंत्रण करते हो
तुम परमात्मा हो l
आकार ,प्रकृति मुक्त हो
तुम निराकार ,निर्गुण हो l
वैज्ञानिक कहते है ..तुम
क्रिया-प्रतिक्रिया का परिणाम हो
उत्पत्ति और विनाश क्षेत्र
हिग्स क्षेत्र हो l
अनन्त नाम देते है तुम्हे, हम नादान
भोली भाली भाषा में कहते तुम्हे भगवान
किन्तु तुम कौन हो, हे! अनजान ? 

 कालीपद 'प्रसाद'
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Tuesday 25 February 2014

उम्मीदवार का चयन



                                                                                      

                                                                 

                       
छत्तीस साल ,छत्तीस घंटे 
छत्तीस मिनिट ,छत्तीस सेकण्ड बाद 
रिटायर्ड हुए रामावतार जोशी 
वासस्थान जिला फैजाबाद l
दफ्तर में अफ़सर थे 
सबको सुनाते थे ,पर 
नहीं सुनी कभी किसी कि बात.

इलेक्शन का समय था 
जोशी भी जोश में था 
सेवा निवृति का विषाद
और थकान  भूल गए\
झटपट तैयार होकर 
बाहर निकल गए
पूछने पर भी घर वालों से
मन की बात छुपा गये.

सोचने लगे ,
"चुनाव लडूंगा , नेता बनूँगा 
फिर मंत्री बनूँगा ,बस 
फिर आराम से कुछ दिन 
दफ्तर में ही सोऊंगा l 
ससुरा 'बऑस ' आफिस में 
कभी सोने नहीं दिया 
अब उसका कसार निकाल लूँगा ."

लेकिन
चुनाव किस पार्टी से लडे
इस पर विचार करना है ,
सब पार्टी का आदर्श एवं 
उद्देश्य  जानना  भी जरुरी है .

सबसे पहले पहुंचे वी जे पी दफ्तर 
अर्थात विश्वासनीय जनता पार्टी .
दफ्तर के बोर्ड पर लिखा था ......
मतदाता का विश्वास जितना है ,
उनकी कल्याण करना है ,
ईमानदार ना हो कोई बात नहीं
'इमानदार है ' ऐसा दिखना है
भ्रष्टाचार  मिटाना है ."

जोशी को पार्टी का आदर्श भा गए 
फ़टाफ़ट पार्टी का सदस्यता फॉर्म भर दिए .
चयन समिति के सामने
साक्षात्कार के लिए बुलाये गए .
सफ़ेद  दाढ़ी और मूंछों  वाला आदमी
चश्मे के ऊपर से झांकते हुए पूछा
"कितनों का खून किया है ?
कभी रिश्वत  लेते पकडे गए ?
दो धर्मों में कभी  लड़ाई करवाई ?
या फिर प्राईवेटाइज़ेसन के नाम पर
 सरकारी दफ्तर बेचने का कोई अनुभव ?"

"ये कैसे कैसे प्रश्न हैं ?"जोशी चकराए 
जोश ठंडा हुआ और होश उड़ गए 
झटके से एक गिलास पानी पी गए .
सर उठाये तो समिति ने उन्हें 
बाहर का रास्ता दिखा दिए .

बाहर आकर जोशी बडबडाये
बाप रे बाप !!
"खून ,रिश्वत ,साम्प्रदायिकता ,कालाधन "
ये सब छुपा एजेंडा को समझ नहीं पाएंगे 
सीधे साधे जनता जनार्धन .
सबके चेहरे पर मुखौटा थे ,
मुखौटे कितने सुन्दर ,पर 
असली चेहरा लगता छुछुंदर ,
बाप रे बाप !! चुप रहना ही बेहतर  .

जोशी आगे बढ़ गए 
एस .एस.पी के दफ्तर में घुस गए 
एस.एस.पी अर्थात 
समाज सुधारक पार्टी ,
जिसका उद्देश्य है, ,,
""दादागिरी से मत डरो,
चाहे कोई कुछ कहे 
प्रशंसा हो या निंदा ,फिक्र मत करो 
अपने मन की करो ,कुछ नया करो ".
एस .एस. पी के इंटरव्यू के लिए 
जोशी तैयार बैठा था 
कुर्सी को जकड़कर पकड़ा था ,
तभी एक अधमोटा  नाटा सा 
थोड़ा हकलाता सा व्यक्ति 
श ष स  को समोसे में भर कर 
पान जैसे चबाते हुए पूछा ......
"कभी डाका डाला है ? या 
टाडा या पोटा जैसे संगीन जुर्म जेल गए ?
कभी किडन्यापिंग करते पकडे गये 
प्रश्न सुनकर जोशी गस खा गया 
राजनीति का जोश ठण्डा पड गया 
हिम्मत जुटा कर पूछा ,
"हुजुर !
चोर डाकू किडन्यापर सभी 
कर रहे हैं अपने अपने व्यापार,
वे क्यों आयेंगे आपके पार्टी में 
अपने अपने धंधे छोड़कर ?"
अधक्ष नेता जी गर्व से बोले
"हमारी पार्टी उन्ही की है ,
उन्ही की बहुमत है ,
यदि तुम्हे इस पार्टी का सदस्य बनना है 
तो कुछ करो .
चोरी करो ,डाका डालो 
अपहरण करो या कुछ और करो ,
और जब अपना नाम 
समाचार पत्र या टी वी चेनल के 
मोस्ट वांटेड  में पाओ ,
तब आकर इस पार्टी का सदस्य बन जाओ ,
अभी तुम जाओ .

थके हारे पराजित सिपाही  सी 
निकल आये जोशी .
चुनाव सर पर था ,पर 
आशा किरण न दिखा जरा सी .
कौन देगा टिकिट कौन बढ़ाएगा जोश
हाँ एक और पार्टी रह गया  है 
नाम है समाज कल्याण कांग्रेस ,
इसका सिद्धांत  है ......
"पार्टी समाज का अभिन्न अंग है 
सदस्य पार्टी का अंग है 
सदस्यों की कल्याण ही 
समाज कल्याण है .
आपसी कल्याण करने वाले सदस्यों की 
समूह ही समाज कल्याण कांग्रेस है .

समाज कल्याण कांग्रेस का कहना  है 
"इसका एक इतिहास है 
उद्देश्य और कर्म का मिशाल है 
देश को एक सूत्र में बांधना  है 
धर्म निरपेक्ष रहना हैl 
छुआ छुट का ,ऊँच नीच का
मजदूर और मालिक का ,
भेद भाव मिटाना है .
किसान को, देश को 
खुशहाल बनाना है ."

जोशी सोचने लगा 
" इस पार्टी में गुजारा मुश्किल है ,
सब ऊँचा या सब नीचा 
कैसे हो सकता है
ऊँची जात, नीची जात
 मजदूर और मालिक 
एक जैसा कैसा हो सकता है
जोशी भ्रमित हुए
पर करे तो करे क्या 
किसी न किसी का दामन थामना है 
चुनाव जो लड़ना है .
समाज कल्याण कांग्रेस में 
वाक् इन इंटरव्यू चल रहा था 
जोशी उम्मीदवारों की 
कतार में खडा था .
तभी साक्षात्कार के बाद 
एक दल बदलू नेता मुस्कुराते हुए निकला 
जोशी लपक कर उनसे पूछ डाला 
'उम्मीदवार की चुनाव का क्या प्राथमिकता "

दलबदलू नेता मुस्कुराते हुए बोला 
"दलबदलुओं को प्रथम प्राथमिकता 
द्वितीय है अभिनेता 
तृतीय स्थान पर असामाजिक होना 
चौथा होगा  वह जिसका 
बाप चाहे संत्री हो 
पर माँ मंत्री हो , 
मेरा तो चयन निश्चित है 
क्योंकि दश  वर्षों में मैंने 
बारह पार्टी छोड़ी है 
यह तेरहवीं पार्टी है और 
इस पार्टी की तेरहवीं तक इसमें रहना है .l

जोशी सोचने लगा 
"न तो वह दलबदलू नेता है 
न खुद , न उनके सात पुस्तों  में 
कोई अभिनेता है l
चोर डाकू गुण्डा आदि 
जितने है अस्समाजिक तत्त्व 
कल्पना में भी नहीं सोचा था 
राजनीति में कितना है उनका महत्व l"

निराश जोशी की  आँखों में अँधेरा छा  गया
थक कर बैठ गया और धरती पकड़ लिया 

अब से' धरती पकड़' कहलाया l



कालीपद "प्रसाद "
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Thursday 20 February 2014

किस्मत कहे या ........


गूगल से साभार



तीन पुत्र और दो कन्याओं के माता पिता

बूढ़े हो गए हैं ,लाठी के सहारे चलते हैं ,

सुबह शाम बड़ी बड़ी आखों में आंसू भरकर

दरवाज़े को अपलक ताकते रहते हैं l

हर सुबह उम्मीद का दीप अनुष्का जला जाती है

संध्या निर्दयता से उसे बुझा जाती है l

न कोई बेटा, न कोई बेटी को फुर्सत है

और न माँ बाप का खबर लेने कोई आते हैं l

पढ़कर बेटे गए कमाने विदेश

व्याहकर बेटियाँ गई साजन के देश l

सब हैं मस्त अपनी  अपनी जिंदगी में

अनोपयोगी वस्तु का क्या महत्व है जिंदगी में ?

बुढाबूढी समझते थे उनका जीवन सफल है

बच्चों को पढ़ा लिखाकर पैरों पर खड़ा किया है l

यही होंगे उनके बुढापे का सहारा

जब वे  होंगे शक्तिहीन बेसहारा l

इसे किस्मत कहे या दस्तूर नया जमाना

बूढ़े माँ बाप की तकलीफ किसी ने ना जाना l

जब होगये निर्बल ,न कर पाए श्रम

त्याग दिया मोह ,शरण लिया वृद्धाश्रम l 

 रचना : कालीपद "प्रसाद "
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Sunday 16 February 2014

प्रिया का एहसास

पिछले एक़  महीने से नियमित रूप से ब्लॉग पर आ नहीं पा रहा हूँ ,कुछ लिख भी नहीं पा रहा हूँ l परन्तु आज का दिन खास है ! जीवन साथी का जन्म दिन है l कुछ नया  लिखने का समय नहीं मिला l अतीत में लिखे कुछ पंक्तिया पेश करता हूँ l


जीवन भर का साथ

जीवन के मरुस्थल में प्रिये तुम ही प्याऊ हो ,
नीरस जिंदगी में तुम मधुमय  रस हो,
टूटते लय की  जिंदगी में  तुम जीवन संगीत हो 
महक हीन मेरी जिंदगी में मधुर महक हो l

तुम्हारा मधुर मुस्कान निराशा में आशा है 

रसीला स्वर तुम्हारा मृतसंजीवनी है 

वायु है ,जल है प्रिये,, है खुशबु तुम्हारा 
तभी तो तुम्हारे होने का मुझे एहसास है.
सावन की बौछारें ,वसन्त की हवाएं लेकर खुशबु तुम्हारा
हौले हौले तन को भीगाकर, मन को महका जाता है !
मेरे बेचैन मन की चैन तुम हो,सुप्त अचेतन मन की चेतना  हो ,
अविरल स्पंदित   मेरे दिल का तुम स्पंदन हो,
क्या कहूँ   शब्दों में , एहसास करो, कि  तुम मेरे क्या हो ?



रचना : कालिपद "प्रसाद " 
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Tuesday 11 February 2014

बनो धरती का हमराज !







भानु के विरह में नभ ने
सिसक कर रातभर रोया ,
आँसू गिरा फुल पत्ती पर
रजनी का भी मन भर आया !
ढक कर मुंह काली चादर से
निश्छल,निस्तब्ध आँसू बहाया
पोंछ लिया झट से आँसू सुबह
जब भानु का आगमन हुआ||

रवि -रश्मि फैली चारो ओर
हुआ तब तम का पलायन
शीत ऋतू ,सर्द  सुन्दर सुबह
भक्तजन करे भजन गायन |
चहकती चिड़िया छोड़ी घोंसले
करने भोजन, दाने  की तलाश
मंदिर का आँगन ,खेत खलिहान
उड़ चली ,जहाँ है दानों की आस !

चूजों को खिलाना ,खुद भी खाना
नहीं कोई चिंता संचय का
सुखी है पशु पक्षी इस जगत में
नर दुखी है ,सोचता है कल का |
प्रकृति करती है  पोषण सबका
कल की चिंता छोड़ जिओ आज
प्रकृति कहती शोषण मत करो
सखा बनो, तुम मेरे  हम राज !


कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित


Tuesday 4 February 2014

जापानी शैली तांका में माँ सरस्वती की स्तुति !


(तांका शैली में अक्षर संख्या ..5,7,5,7,7)

माघ पंचमी
शरद शुक्ल पक्ष
वसंतोत्सव !
वागीश्वरी शारदा
होती है माँ की पूजा l

ज्ञानदायिनी
विद्या वुद्धि दायिनी
तम हारिणी!
श्वेताम्बर धारिणी
श्वेत हँस वाहिनीl

वेद शास्त्रादि
नृत्य गीत सभी के  
हो अधिष्ठात्री !
ब्रह्मा शंकर आदि
द्वारा पूजिता देवी l

श्वेतालंकार
शुभ्र वस्त्र धारिणी
वरदायिनी !
प्रभा धृति दायिनी
त्वामहम नमामि l

माँ सरस्वती !
पुस्तक हस्ते देवी
वीणा वादिनी !
तव चरण युगे
त्वमेव नमस्तुते l 


 कालीपद "प्रसाद"
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