काले काले बादल बताओ तुम
कहाँ है तुम्हारा देश?
कहाँ से तुम आये ,जा रहे हो कहाँ
जहां होगा नया नया परिवेश।
दूर देश से आये हो तुम
थक कर हो गये हो चूर चूर ?
करो विश्राम घडी दो धडी यहाँ
जाना है तुम्हे बहुत दूर।।
देखो नदी, नाला ,पोखर ,कुआँ ,
यहाँ सुख गया है सारा ,
जाने के पहले बरस जाओ यहाँ
इस देश को बना जाओ हराभरा।
पहला फुहार किया जीवन का संचार
तुम ने उड़ाया गोरी का होश ,
चंचल तितली ज्यों चक्कर काट रही है
मानो हो गई है मदहोश।।
धीर गंभीर सिन्धु पुत्र हो , सिन्धु जैसा
श्याम-नील वर्ण काया ,
सिन्धु जैसा गंभीर गर्जन सुनकर
कांप जाता है जग सारा।
दामिनी दमक डराती है सबको
गिरती है दामिनी जब धरती पर ,
फुहार तुम्हारा ला देता है मुस्कराहट
दुखी पीड़ित चेहरे पर।।
पयोधर तुम्हारा पय अमृत है,
है यह जीवन संजीवनी ,
पीकर धरती हो जाती है सजीव
खेतों में लहराती हरियाली।
प्रिया के चेहरे की चमक लौट आती है
जब घर आता है परदेशी पिया ,
किसान के चेहरा खिल जाता है
जब देखता है खेत फसल से भरा।।
किसान के भाग्य-विधाता कोई है ....
तो वह तुम ही हो, हे जलधर!
किसान उगाता फसल ,पेट भरने मानव का
किसान आश्रित है तुम पर।
अच्छा फसल होना ना होना ,सब कुछ
है तुम्हारी वर्षा पर निर्भर,
मानव के जीवन में खुशहाली लाने, हे मेघराज !
खुश हो कर वरसो इस धरती पर।।
(सभी चित्र गूगल से साभार )
कालीपद "प्रसाद"
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