गीत –दिवाली मात्रा (१०,१६)
दीपों का उत्सव, घर घर झिलमिल अब दीप जले
इस दिवाली में, एक दीप झोपडी में जले |
कोने कोने में, महलों के, फ़ैल गया प्रकाश
धनी रहनुमा के, घरों में है, लक्ष्मी का बास |
जगमगाते महल पास, अँधेरी झोंपड़ी मिले
इस दिवाली में, एक दीप झोंपडी में जले |
नया वस्त्र आवृत, नया आभूषण तनपर सजे
घर आँगन मंडप, में हर कोई लक्षी पूजे
माँ लक्ष्मी तुम अब, महल से उतर अहले–गहले
झुग्गी में आओ, एक दीप झोंपड़ी में जले |
अभागा देश के, स्वार्थी आकाओं धीर धरो
गरीब ने तुमको चुनकर भेजा, कुछ भला करो
भूखे हैं सब, यहाँ सबके सब हैं दिल जले
इस दिवाली में, एक दीप झोपडी में जले |
कालीपद 'प्रसाद'