दिल्ली क्यों जल रहा है ?
छुपके चुपके खामोश षड़यंत्र
रचा जा रहां है,
तिल-तिल आहत संविधान
हिंसा द्वेष से प्रजातंत्र
जल रहा है |
प्रजा हित प्रमुख है
या शासक का दम्भ ?
यही ला रहा है धीरे से
शांत समाज में भूकंप |
शासन के लिए बहुमत
अवश्य जरुरी है,
सुशासन के लिए सशक्त
विपक्ष भी जरुरी है |
विपक्ष ही निरंकुश, झक्की
शासक का अंकुश है,
भोली-भाली जनता को
आगे इसको समझना है |
हर घर का एक वोट पक्ष में
दुसरा वोट पड़े विपक्ष में,
तभी प्रजा की हित होगी
देश रहेगा सलामत में |
निरंकुशता का फल आपातकाल
या तानाशाही,
भारत भुगत चुका आपातकाल
और एकल राजशाही |
धर्म, जाति, वर्ण के आढ़ में
और खेल न खेलो,
बदल गया है युग, यह कलि
सच्चा विकास करो, देश संभालो |
कालीपद 'प्रसाद'
मेरे विचार और अनुभुतियों की गुलिस्ताँ में आपका स्वागत है |.... ना छंदों का ज्ञान,न गीत, न ग़ज़ल लिखता हूँ ....दिल-आकाश-उपज,अभ्रों को शब्द देता हूँ ........................................................................ ............. इसे जो सुन सके निपुण वो हैं प्रवुद्ध ज्ञानी...... विनम्र हो झुककर उन्हें मैं प्रणाम करता हूँ |