Thursday 27 February 2020

कविता -दिल्ली क्यों जला रहा है ?

दिल्ली क्यों जल रहा है ? छुपके चुपके खामोश षड़यंत्र रचा जा रहां है, तिल-तिल आहत संविधान हिंसा द्वेष से प्रजातंत्र जल रहा है | प्रजा हित प्रमुख है या शासक का दम्भ ? यही ला रहा है धीरे से शांत समाज में भूकंप | शासन के लिए बहुमत अवश्य जरुरी है, सुशासन के लिए सशक्त विपक्ष भी जरुरी है | विपक्ष ही निरंकुश, झक्की शासक का अंकुश है, भोली-भाली जनता को आगे इसको समझना है | हर घर का एक वोट पक्ष में दुसरा वोट पड़े विपक्ष में, तभी प्रजा की हित होगी देश रहेगा सलामत में | निरंकुशता का फल आपातकाल या तानाशाही, भारत भुगत चुका आपातकाल और एकल राजशाही | धर्म, जाति, वर्ण के आढ़ में और खेल न खेलो, बदल गया है युग, यह कलि सच्चा विकास करो, देश संभालो | कालीपद 'प्रसाद'