कायनात का नियम है
हर क्षण चलते जाना है
रुक गया जो रास्ते में
उसका मरना निश्चित है l
ग्रह नक्षत्र तारे सब चल रहे हैं
हमारी धरती ग्रह में शामिल है
जन्म से निरन्तर चल रही है
सिद्दत से नियमों का पालन कर रही है l
यही कारण है कि एक साल का गमन
एक दूसरा साल का हो रहा है आगमन ,
जाने वाला साल पुराना हो चूका है
आने वाला साल को "नव वर्ष " कहते हैं l
"नव वर्ष "नवीन उम्मीद जगाता है
हर निराश जन में नया जोश भरता है
पुराने वर्ष में कटु और मधुर अनुभव है
कटुता भूलकर , नया उद्योम करता है l
नयासाल का हर्षोल्लास स्वागत होता है
पुराने साल का म्लान विदाई होती है
"भविष्य मधुर हो "यही हमारी आशा है
"नव वर्ष मंगलमय हो"यही हमारी दुआ है |
कालीपद "प्रसाद "