Wednesday 31 July 2013

,नेताजी कहीन है।

यह मुम्बई -देल्ही -काश्मीर ढाबा नहीं है
 


मुंबई में बारह रुपये ,दिल्ली में पांच रुपये 
भर पेट खाना खाइए ,बब्बर-रसीद कहीन है। 

बारह पांच के चक्कर में काहे पड़त  हो भैया 
रूपया रूपया खाना खाओ ,फारुक जी कहीन है। 

अट्ठाईस लाख का सौचालय ,आयोग के अध्यक्ष का 
अट्ठाईस का आंकड़ा शुभ है ,अध्यक्ष जी कहीन है। 

अट्ठाईस रुपये भरपेट हरदिन ,गरीब खा सकते हैं 
ज्याद खायेगा देश गरीब हो जाएगा ,नेताजी कहीन है।

ज्यादा खाते है गरीब ,इसी से महगाई बढती है 
'भारत हो गया है पेटू' ,हम नहीं ,वित्त मंत्री कहीन है। 

कैदी का खाना ३२ रूपये ,गरीब का खाना २८ रुपये 
अच्छा खाना है ,कैदी बन जाओ ,नेताजी का सन्देश है। 

 अठरह रुपये में एक थाली सांसद को मिलती है
डेढ सौ रुपये उस  थाली पर ,सरकार चुकाती है। 


कालीपद "प्रसाद" 


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Saturday 27 July 2013

हमारे नेताजी





हर मौत पर घडियाली आँसू, ये बहाया करते हैं
आदतन ,मौत पर मुआबज़ा का एलान करते हैं।

तेइस (२३) बच्चे की मौत पर ये गिनते है दो,तीन (२,३)
 दो,तीन को देते हैं मुआबज़ा,तेइस नाम दर्ज करते हैं।

शर्म-ओ-हया को कर दिया विदा वर्षों पहले 
अब तो चन्द सिक्कों के लिए ,ईमां का सौदा करते हैं।

एहसास शून्य पत्थर का हो गया है उनका दिल 
अब मुर्दों से मुआबज़ा का पैसा छिना करते हैं।

चतुर चाल उनकी ,मदत का दिखावा करते हैं 
रय्यत राज ना जान जाय ,खौफ़ खाए रहते हैं।

बाढ़ हो या भूकंप हो ,या हो कोई प्राकृतिक त्रासदी 
चेहरे पर दुःख ,मन में ख़ुशी लिए चापर से सैर करते हैं।

संकट में फंसे पीड़ित को बचाने ,सेना चापर भेजती है 
अफसर, मंत्री,बहू ,सारा परिवार चापर से सैर करते हैं।

बलिहारी नेताजी आपका ,टेढ़ी  है आपकी  चाल
दिल में भी खोट है ,सीधी बात कभी नहीं करते हैं।


रय्यत=नागरिक ,जनगण
  कालिपद "प्रसाद "


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Monday 22 July 2013

दिल के टुकड़े




गुडिया गिर गई
उसके हाथ ,पैर
टूटकर अलग हो गये।
फ़ेविक़ुइक लाया
उस से जोड़ा ,
गुडिया ठीक हो गई।
 
दिल के टुकड़े को किस से जोडू ?
रिश्ते के मधुर बंधन से बंधा था ,
वो  डोर टूट गया।
किस से बांधूं,कैसे जोडूँ?
बांधूंगा तो गांठ तो  रहेगा ,
जोडूंगा,दरारें तो दिखाई देगी ,
पहले जैसे कभी नहीं होगा।

दिल तो एक सीसा है
हर प्रतिबिम्ब इसमें साफ दिखाई देता है ,
जब सीसे में दरार आती है
प्रतिबिम्ब भी टूट जाता है।

प्रतिबिम्ब ना टूटे ,
इसका इलाज केवल  एक ही है 
 कि…सीसा इतना मैला हो जाय
 कि…उसकी दरारें दिखाई ना दें
प्रतिबिम्ब भी दिखाई नहीं देगा ना टूटेगा । 

दिल में गर कलुष भर जाय
दिल की दरारें भी समाप्त हो जाएगी 
जब वह भाव,भावना,सम्वेदन हीन होगा 
तब उसे टूटने का भय भी नहीं होगा।

रसोई में वर्तन टूटते है 
रसोइए के या वर्तन वाली के हाथ से।
दिल के टुकड़े होते हैं 
नजदीकी यार ,दोस्तों या अपने रिश्तेदारों से।


कालीपद"प्रसाद"


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Tuesday 16 July 2013

सुख -दुःख


दिन के उजाले  में लोग भूल जाते है काली रात को 
काली रात फिर आएगी ,तुम याद रखकर तो देखो।

रौशनी के आने पर ,तम भाग जाता है
गम को भुलाकर एकबार, हंसकर तो देखो।

तुम को  दुखी देखकर ,दुखी है अपने सारे 
उनके दुःख का भी एहसास  कर तो  देखो।

चाहत अनंत है ,हर चाहत पूरी नहीं होती 
यकीन न हो तो दोस्तों से पूछकर तो देखो।

शरीर का घाव अपने आप भर जायेगा 
जरा अंतर्मन का घाव को ,भुलाकर तो देखो।

दुनियाँ  रंगीन है , गम के साथ खुशियाँ  है बेसुमार 
जरा गम के दुनियाँ से बाहर, आकर तो देखो।

इस  जिंदगी में न कोई सदा दुखी, न कोई सदा सुखी
दुःख से ही सुख का एहसास है , सोचकर तो देखो। 

कर्मफल का "प्रसाद " मिलता सबको है जिंदगी में 
कभी तुरंत कभी देर से, जरा धीरज धर के तो देखो।



कालीपद "प्रसाद "


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Friday 12 July 2013

केदारनाथ में प्रलय (२)




फूलों की वादियों  में खिलते थे फुल अनेक

सैलानी से भरा रहता ,अब नहीं कोई एक।


उड़ गए हरित चादर सुन्दर पादप देवदार का

गंजे के सर की भांति ,नंगा शिखर है पर्वत का।


प्रकृति को नहीं स्वीकार, मानव का कोई शोषण

प्रकृति बनाकर सबको, खुद करती उसका पोषण।


प्रत्यक्ष प्रमाण देखो ,केदारनाथ में अतिक्रमण का नाश है

मानव  निर्मित  हर रचना   को मिटटी में मिला दिया  है।


बारिश हर वर्ष होती  है , अब की बार क्या नया है? .

बे-मौसम क्यों बादल टूट पड़ा, मानव ने कभी सोचा है?


मानव के अत्याचार से नाराज है प्रकृति महाकाल

प्रलय विगुल फूंक दिया ,समझो अंत है कलिकाल।


मन्दाकिनी, अलकनन्दा, गंगा , कोई नहीं अब पावन

लाशों का अम्बार लगा है, नहीं करता कोई  आचमन।


ना इन्द्रधनुषी दैविक आभा,ना सुमधुर संगीत मंदिर का

नहीं गूंजती भक्तों की वाणी "जय जय भोले नाथ का। "


शमशान की ख़ामोशी है, बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम में

क्रन्दन और विलाप की गुंज है, पहाड़ों के सब गाँव में।


पुत्र  गया ,पिता गया ,पति हुआ प्रलय का शिकार

अनाथ बेटी ,अनाथ पत्नी, अनाथ हुआ पूरा परिवार।


सियासत के ठेकेदारों , जाकर देखो इन सब  घरों में

चापर से नहीं देख पाओगे ,दुःख है जो इनके दिलों में।


देश को  लूटो ,खजाने को लूटो ,लूटो देश के सब धन

इंसानियत को मत लुटाओ  लूटकर मुर्दे की कफ़न।



कालीपद 'प्रसाद "

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