Tuesday, 24 June 2014

उम्मीदों की डोली !

चित्र गूगल से साभार 

                                           

                                                                        



अच्छे दिन आने वाले हैं
आशाओं के दीप जले हैं ,
हर हाथ को काम मिलेगा
बाहुपाश अब फड़क रहा है ,
मन में जोश ,दिल में उमंग है,
डोल रही है उम्मीदों की डोली है
कब तक सफलता पैर चूमेगी
सबको यही इन्तेजार है |

अँधेरी गलिओं से चलकर
नई रश्मि का स्वागत किया है,
हर आँगन में कब रश्मि होगी
नये आकाओं की परीक्षा की घडी है |
“सच्चाई और ईमानदारी की
कब तक होगा बोलबाला  ?
बाहुबली ,डाकुओं और दागिओं के लिए
कब लगेगा संसद में ताला ?
हर दफ्तर में कब कानून का राज होगा
कब इमानदारी ही कानून होगा ?
परोपकारी होगा दफ्तर के हर कर्मचारी
कब भ्रष्टाचार का समूल नाश होगा ?
प्रश्न हैं 'ये भारत के जन जन के' 
उम्मीदें हैं 'खिले फुल इस उपवन में' ,
दिखाया है जो सपने नए आकाओं ने
वो साकार कब होगा भारत के हर गाँव में ?”

सच होगा या वादों का पोल खुलेगा
इन्तेजार है ,समय ही यह बतलायेगा
राम ,रहीम का कितना भी दुहाई दे दे
मंदिर ,मस्जिद भी झूठे को नहीं बचा पायेगा |

अच्छे दिन का पोल खुलने लगे है
रेलभाड़ा,गैस,पेट्रोल सबका भाव बढ़ने लगे है
20 रुपये किलो आलू ,४० रपये में बिक रहे हैं
सेठ ,साहूकार ,नेताओं के अच्छे दिन आ रहे हैं |

बेचारी जनता निर्वाक है, लाचार हैं
हर नेता उसे ‘कैटल’ समझकर हांकता है
कभी महंगाई का डंडा खाती है ,कभी पुलिस का 
हर हाल में डंडा खाना उसकी नसीब है |  


रचना :कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित

Thursday, 19 June 2014

नौ रसों की जिंदगी !**


                                   



                

नौ रसों से भरा है यह प्रकृति,
गौर से देखो इस प्रकृति को  , 
रस-रंगों से ही सजीव है जीवन
भरपूर जिओ इस जिंदगी को,  
इस बात का करो अहसास प्रिये
यदि रस है सही संतुलन लिए ,
प्रकृति जितना सुन्दर है और है मधुर
जीवन यात्रा भी बनता है मधुर से सुमधुर
संतुलन जब रसों का बिगड़ता है
तन,मन ,जीवन में भूचाल आता है |
हर रस का जायका है अलग, अलग है प्रभाव
सामंजस्य सुखदायक,असंतुलन डालता कुप्रभाव
समझदारी से इन रसों का आश्वादन करना है
किसी एक से प्रेम,दुसरे से नफरत नहीं करना है|
‘भयानक’ भय का कारण है,साहस से भय भगाना है
‘वीर’ में गर ज्ञान हो तो ,विजय पाना आसान  है
सफलता-असफलता,सुख-दुःख ,जीवन का अंग है
दुःख में ‘करुणा’ प्रबल है,सुख में ‘हास्य’ परिहास है|
‘रौद्र’ रूप, गुस्सा है दो धारी तलवार,इससे बचना है
प्रेम–धागा को काटता और गृहशांति को बलि चढ़ाता है
निवेदन करता हूँ प्रिये ,मेरा अनुरोध तुम रखना
जीवन के ऊँच नीच में मुझे ‘वीभत्स’ रूप ना दिखाना|
छोडो गुस्सा,रोना धोना ,हंसो खिलो फूलों की तरह
छोटो पर स्नेह का वर्षा करो,मुझ पर प्रेम का अनुग्रह
'श्रृंगार' मुझे बहुत प्रिय है ,खूब सजो सवारों जी भर कर
शान्ति का अहसास होता है,तुम्हे यूँ सजे संवरे देख कर |
मन की शान्ति ,तन की शान्ति, 'शान्त' हो धर बाहर
तुम्ही हो हास्य ,प्रेम ,शांति स्वरूपा ,मेरे मन के अन्दर
जीवन की है यही नियति ,कभी हँसना कभी है रोना
अचानक करवट लेती है जिंदगी ,इसमें आश्चर्य ना होना |
जैसे मोड़ ले जिंदगी वैसे ही उसे स्वीकार करना
जैसे बयार बहे प्रकृति में ,वैसे ही जीवन को ढालना ,

                                                          
चार दिवार का मकान हो या हो उजड़ा उपवन
बहती है जब प्रेम की बयार ,वन जाता है वह शांति वन |  


Tuesday, 10 June 2014

'मैंने माँगा ईश्वर से .......' अनुवाद **



I asked God !” यह कविता किसने लिखा मुझे नहीं पता | अगर किसी मित्र को पता हो तो कृपया  टिप्पणी में बताएँ | इसको कोई २०-२२ साल पहले मैंने पहले कहीं पढ़ा था , जब जीवन में ऊँच- नीच परिस्थितियों से परेशां होकर कई मंदिरों में चक्कर काटे ,इच्छित फल पाने के लिए प्रार्थनाएं की ,किन्तु जो प्रार्थनाएं की वो तो हुबहू वैसा फल नहीं मिला परन्तु जीवन की रफ़्तार रुकी नहीं ,परिस्तितियाँ बदली और जैसा जहां जिस चीज की जरुरत हुई वो मिल गई और जीवन जी गाड़ी आजतक चलती आई है और आशा है चलती रहेगी ! इस कविता से मुझे यही प्रेरणा मिली की हमें ईश्वर से कुछ माँगना नहीं चाहिए | जो हम मांग रहे हैं वो शायद हमारे लिए ठीक नहीं है ! हमारे लिए जो ठीक है ,हितकारी है ,वे सब ईश्वर हमें बिना मांगे ही देते हैं ! मैंने इस कविता को हिंदी में अनुवाद करने की कोशिश की है शायद आपको पसंद आये |
                   I asked God !

I asked God for strength
              He gave me difficulties to face.
I asked God for happiness,
               He showed me some unhappy people.
I asked God for brain and brawn,
                He gave me puzzle in life to solve.
I asked God for wealth,
                 He showed me how to work hard.
I asked God for health,
                  He showed me honest way of living.
I asked God for peace,
                  He showed me how to help others.
I asked God for favour,
                  He gave me opportunity.
He gave nothing I wanted,
                   He gave me everything I needed.

इसका अनुवाद मैंने इस प्रकार किया :-


मैंने ईश्वर से शक्ति (सामर्थ ) मांगा ,
              उसने मुझे कठिनाइयों से लड़ना सिखाया |
मैंने ईश्वर से सुख मांगा ,
              उसने मुझे कुछ दुखी लोगों से मिलाया  |
मैंने ईश्वर से वुद्धि और बल मांगा ,
                उसने मुझे चक्रव्यूह में डाल दिया  |
मैंने ईश्वर से धन  मांगा ,
              उसने मुझे कठिन परिश्रम करना सिखाया |
मैंने ईश्वर से स्वास्थ्य मांगा ,
              उसने मुझे इमानदारी से जीना सिखाया |
मैंने ईश्वर से शांति मांगा ,
                उसने मुझे परोपकार करना सिखाया |
मैंने ईश्वर से उनका अनुग्रह माँगा ,
              उसने मुझे काम करने का अवसर दिया |
ईश्वर ने मुझे वो कुछ भी नहीं दिया ,जो मैंने माँगा,
किन्तु जिस चीज की मुझे जरुरत थी ,उसने वो सब कुछ दिया !

हिंदी अनुवाद :कालीपद “प्रसाद ‘