Monday 25 November 2013

तुम



चाहता हूँ, तुझे  मना लूँ प्यार से
लेकिन डर लगता है तेरी नाराज़गी से |

घर मेरा तारीक के आगोश में है
रोशन हो जायेगा तुम्हारे बर्के हुस्न से |

इन्तेजार रहेगा तेरा क़यामत तक
नहीं डर कोई गम-ए–फिराक से |

मालुम है, कुल्फ़ते बे-शुमार हैं रस्ते में
इश्क–ए–आतिश काटेगा वक्त इज़्तिराब से |

बर्के हुस्न तेरी बना दिया है मुझे बे–जुबान
 करूँगा बयां दिल-ए-दास्ताँ,तश्न-एतकरीर से | 

 शब्दार्थ :बर्के =बिजली जैसा चमकीला सौन्दर्य 
        तारीक़= अँधेरा 
        तश्न-ए-तकरीर=होटों की भाषा   



   कालीपद 'प्रसाद'



© सर्वाधिकार सुरक्षित



 

Thursday 14 November 2013

लोकतंत्र -स्तम्भ

                                              
न्यायपालिका


तीन स्तम्भ हैं भारत महान लोकतंत्र का
संसद ,न्यायपालिका और कार्यपालिका |

न्यायपालिका ,कार्यपालिका को बना दिया बेअसर
संसद स्वयंभू- स्व-घोषित, राज -संसद बनकर |

"सांसद विधाता हैं  "हुआ हुक्म ज़ारी संसद में
"सांसद आजाद हैं " बंधे नहीं कानूनी ज़ंजीर में|

न्यायपालिका का आदेश मान्य है जनता के लिए
सांसद तो विधाता है,कोर्ट का फैसला नहीं उनके लिए |

कहने के लिये हैं "कानून के ऊपर कोई नहीं "
हकीकत में,भारत में सांसद से बड़ा कोई नहीं |

मंत्री अगर अपनी मनमानी न कर पाए
किस बात का मंत्री वह ,खुद समझ न पाए |

घपला करना, कमीशन खाना, यही तो धर्म है
अगले चुनाव का खर्च जुटाना,यही तो एक काम है |

इनको मंजूर नहीं,इनके घपले पर ऊँगली उठाय कोई
जनता हो ,मीडिया हो ,न्यायालय हो या हो और कोई |

घमंड है उनको ,कानून बनाकर ,बना सकते है सबको निकम्मा
आदेश है उनका "प्रसाद "सर झुककर मानो ,कभी न सर उठाना |


शब्दार्थ : राज -संसद =राजसभा जहाँ राजा खुद न्याय करता है |न्यायाधीश को निष्क्रिय बना देता है |

रचनाकार
कालीपद "प्रसाद "
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Sunday 10 November 2013

काम अधुरा है


                                           

चित्र गूगल से साभार (आपत्ति होने पर हटा  दिया जायगा )

पांच साल का शासन समाप्त हुआ
नव चुनाव का आगमन हुआ
चुनाव आयोग ने चुनाव की  रणभेरी बजा दी
नेतायों में खलबली मचा दी |
बातानुकुलित कमरे में आराम करने वाले 
मंत्री जी का भाषण और दौरा शुरू हुआ ,
गली गली ,मुहल्ले मुहल्ले का 
ऐसा चक्कर लगाया ..........कि
गली का आँवारा कुत्ता भी मात खा गया |

मंच पर खड़ा होकर माइक पकड़ लिया
बोले, "भाइयों-बहनों ,काम हमने बहुत किया 
पर कुछ काम बाकि रह गया ....
हमको एकबार फिरसे व्होट दीजिये
प्रचण्ड बहुमत से जिताइये
हमारे अधूरे काम को पूरा करने का 
एक और मौका दीजिये |"

जनता में से एक व्यक्ति खड़ा हो गया
मंच पर आकर मंत्री से माइक ले लिया 
बोला,"मंत्री जी ठीक कहरहे है 
इनके कई काम अधूरे रह गए है
मैं एक एक कर आपको बताता हूँ  ,आप सुनिए 
बाद में मत्री जी को ही व्होट दीजिये |

पिछले चुनाव के बाद ,हम सबका 
जेब खाली कर चूका है देकर 
पेट्रोल,गैस,डीज़ल का झटका ,
जमाखोरों को छुट देकर 
चुनाव का फंड इकठ्ठा किया है 
प्याज का भाव बढाकर 
जनता को खून का आंसू रुलाया है |
पहले खाते थे आप- हम दाल,भात, सब्जी 
अब केवल चख लेते हैं ,महान कृपा हैं इनकी |
सात पुस्तों केलिए माल इकठ्ठा कर लिए हैं 
आठवां पुस्त अभी पैदा हुआ है 
उनके लिए भी कुछ कमाना है 
तभी तो यह चुनाव जितना जरुरी है |

नेताजी बड़े  काबिल मंत्री हैं
इनके बराबर कोई घपला बाज नहीं है
ताबूत का कफ़न ओड़कर पनडुब्बी दुबोया है 
घटिया चापर क्रय में बड़ा कमीसन खाया है 
कोयला के आग में पकाकर टू जी को हजम किया है
और किसी को कानो कान खबर होने नहीं दिया है|

अगलीबार उन्हें पानी के जहाज को उडाना है 
हवाई जहाज आधा डूबा है ,पूरा डुबाना है 
देश को विदेशी कंपनी के हाथ बेचना है 
बातचीत चल रही है ,काम अधुरा है 
कमीसन पर बात अटकी  हुई  है|
जनता के सेवा में भूखे नंगे बन गए हैं 
मांग रहे हैं व्होट , बेचारे बेशर्म भिखारी हो गए हैं |
उदार हैं आप ,कमज़र्फ कंजूस न बनिए 
उन्हें एक बार फिर व्होट दीजिये 
इनके अधूरे काम को पूरा करने दीजिये |
इनको व्होट देकर अपना चमन को 
उजाड़ने का इंतजाम कर लीजिये |

महान देश हैं! नेता आदर्श है
आदर्श से आदर्श को चाट जाते हैं 
आदर्श नेता हो या  आदर्श अफ़सर, सब एक हैं
जनता हो या फौजी जवान हो 
बेशर्म सबको धोखा देते हैं |

कालीपद "प्रसाद"


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Sunday 3 November 2013

आओ हम दीवाली मनाएं!

                                                                      
गूगल से साभार


आओ हम दिवाली मनाएं
मिलकर एक दीप ऐसा जलाएं
जिसमे न तेल जले ,न रुई-बाती हो
इच्छा की  बाती हो ,मन का कलुष जलती हो 
घर -बाहर से पहले ,हम सबके
मन का अँधेरा दूर करती हो  ,
आओ मिलकर एक ऐसा दीप  जलायें
आओ हम दीवाली मनाएँ!

दीप जो हर घर को रोशन करे
मुफ़लिस जीवन में उजाला भरे
टूटे रिश्तों को फिर जोड़ दें
भेद भाव का कलुष जला दें
हिंसा द्वेष का भाव भष्म कर दें
मन में भर दे बिश्वास और आशाएं
आओ मिलकर एक दीप जलाएं
आओ हम दीवाली मनाएं!

पटाखे न जलाओ मेरे देश के बच्चों
यह पर्यावरण का दुश्मन हैं
और यह धन की  बर्बादी भी है !
अगर तुम अधिक ख़ुशी चाहते हो
उस पैसे से मुहताजों को मिठाई खिला दो ,
देंगे दुआएँ तुम्हे ,मिलेगी खुशियाँ तुम्हें
आओ मिलकर एक ऐसा दीप जलाएं
आओ हम दीवाली मनाएं!

आप सबको दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ! 
 कालीपद "प्रसाद "
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