Saturday, 31 August 2013

नसीहत



बचपन में मैंने
तुम्हारी ऊँगली पकड़कर
चलना सिखाया था ,
विद्यालय के सीढ़ियों  पर 
हाथ पकड़कर चढ़ना सिखाया था,
और तुम चढ़ती गई बेझिझक,
ऊपर और ऊपर
निर्विघ्न ,निश्चिन्त ,
होकर निडर
क्योंकि 
तुम्हारी सीढ़ी थी "मैं"। 
मुझपर तुम्हे पूरा भरोषा था 
एक आस्था थी ,अटूट विश्वास था ,
तुम ऊपर और ऊपर चढ़ गई.। 
फिर क्या हुआ ?
क्या खता हो गई ?
वो विश्वास ,वो भरोषा क्यों टुटा ?
कि तुमने उस सीढ़ी  को 
एक लात मरकर गिरा  दिया ?
सोचकर यही कि 
सीढ़ी का काम ख़त्म हो गया ?

अचंभित हूँ,निर्वाक हूँ.। 
कहने को बहुत कुछ है
पर दिल नहीं चाहता कुछ कहूँ 
क्योंकि अपने लगाये पौधे को 
 फलते फूलते  देखना चाहता हूँ । 

पर बिना मांगे 
एक नसीहत देता हूँ 
इसे याद रखना। 
सीढ़ी की जरुरत तुम्हे फिर होगी
यदि तम्हे है और ऊपर चढना 
या फिर जब चाहोगे नीचे उतरना।
पर जब भी किसी सीढ़ी का सहारा लो 
उसके लिए कृतज्ञता के दो शब्द कहना 
उसे कभी लात मारकर न गिराना।


कालीपद "प्रसाद "


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Wednesday, 28 August 2013

एक बार फिर आ जाओ कृष्ण।




पांच हजार  साल बीत गए अब  
झड गए फूलों जैसे लाखों दिन ,
फिर भी मानकर ज्यों कल की बात 
तुम्हें पूजते हैं भक्त निश-दिन। 

कैसा मंत्र दिया जग को कन्हाई  
ज्ञान ,कर्म ,निष्काम योग का
आजतक समझ न पाए कोई 
गूढ़ ,अतिगुढ़  अर्थ उसका।

भक्त जन तो रम जाते तुम में 
जपते जपते राधे कृष्ण,राधे कृष्ण
हे अवतारी ! भक्तों का मान रखने 
एक बार फिर आ जाओ कृष्ण!

कलियुग में हो गया धर्म का नाश है
चहुँ ओर है अधर्म का बोल बाला
राम राम, कृष्ण कृष्ण जबान पर है 
मन में जपते ढ़ोंगी, धन की माला।

विश्व के धर्म के रक्षक के भेष में 
धर्म को डसते हैं छुपकर महाकृष्ण 
पुन: धर्म  संस्थापनार्थाय 
एक बार फिर आ जाओ कृष्ण!

अत्याचारी, भ्रष्टाचारी है  शासक
प्रजा पीड़ित हैं इन दो मुहें नागों से 
द्वापर का दुर्योधन,शकुनि कुछ भी नहीं
उलझकर देखो कलि के मामा-भांजों से।

राज दरवार भरा पड़ा है 
शकुनि,दुर्योधन,दू:शासनों से
त्रस्त  हैं भारत की हर नारी 
बलात्कार और चीर-हरण से।

 त्राहि त्राहि हम पुकारे तुम्हे सदा
 सुनो पुकार  हमारी  हे कृष्ण!
विनाशाय च दुष्कृताम, कलि में 
एक बार फिर आ जाओ कृष्ण! 



बाल कृष्ण आप सबके मनोकामना पूर्ण करे !

शुभ जन्माष्टमी की मंगल कामनाएँ 
 शब्दार्थ : महाकृष्ण=काला,जहरीला नाग 

कालीपद "प्रसाद "


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Friday, 23 August 2013

आभार !

१८ अगस्त २०१३ के पोस्ट के माध्यम से मैंने अपना ख़ुशी आपसे बांटा था कि ईश्वर  की कृपा से मुझे एक पौत्र और एक दौहित्री के रूप में ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है.।  यह पोस्ट ईश्वर को धन्यवाद एवं आगंतुकों के स्वागत में प्रस्तुत कर रहा हूँ.। 


                      आभार !




क्या माँगू तुम से वरदान !
बिन माँगे ही दिया है अनूठा दान
यह आकाश ,यह बातास ,यह अँधेरा उजाला
और सदा धड़कती दिल की धड़कन।

कृपा सिन्धु हो तुम
कृपा किरण वर्षा करते हो
हम पर निश - दिन.।
किस रूप में मिलता मुझे
पता नहीं चलता मुझे कभी
किसी क्षण,किसी दिन.।

जब मन प्रसन्न होता है
फ़िजाएँ आस पास महकती हैं,
आभास होता है तुम्हारे आगमन का
आखें ढूढती  है तुम्हारे दीदार का,
तुम छुपे रहते हो यहीं कहीं
छुपकर तमाशा देखते हो
हम तुम्हे ढूंढ़ पाते कि नहीं।

आँखे नहीं ढूंढ़ पाते तुम्हे
पर दिल तुम्हे ढूंढ़  लेता है
जब श्री चरणों में सर रखता हूँ 
आँखें नम हो जाती हैं.।


             स्वागतम

सुबह सुबह मन-मयूरी नाच रही है
सुबह की हवा सन्देश दे गई है
अनुष्का हँस हँस कर कह रही है
मानो सहस्रभानु /सविता मेरे घर आ रहा /रही है.।

प्रभात में ज्यों होता है सहस्रभानु का उदय
साँझ ढले होता है शीत- रश्मि का उदय
दश और चौदह अगस्त के शुभघड़ी  में
वैसा ही हुआ मेरे घर में
कुलदीपक /कुलदीपिका का उदय। 

किस नाम से बुलाएँगे ,यह तो जाने मा-बाप
प्यारे पौत्र  और
प्यारी दौहित्री
दादा-दादी /नाना -नानी तुम्हे करते हैं स्वागत।

रब की इच्छा से आये  तुम
रब की इच्छा से उदित इस घरमे तुम
सदा उनकी इच्छा का पालन करना तुम
लगन से रब का काम करना तुम  ,
रब के काम से मुहँ न मोड़ना तुम ।

सौ वसन्त की लम्बी आयु हो,
हो ईश की कृपा किरण की वर्षा तुमपर
आशा ,विश्वास ,उमँग -तरंग भरपूर हो
अँधेरी छाया कभी न पड़े तुम पर.।
 यही आशीष देते तुम्हे प्यारे
दादा -दादी /नाना- नानी तुम्हारे
ईश्वर की कृपा बनी रहे
सब इच्छा तुम्हारी पूर्ण करे। 


शब्दार्थ :
अनुष्का=सूरज की पहली किरण
सहस्रभानु /सविता=सूरज
शीत- रश्मि= चन्द्रमा

कालीपद " प्रसाद "


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Tuesday, 20 August 2013

नेताजी फ़िक्र ना करो!





आधी जनता भूखी सोती है ,तो सोने दो
"गरीबी कम हो गया " का नारा तुम बुलंद करो.।

महंगाई ,बेरोजगारी से परेशाँ  है गरीब... तो क्या ?
गरीब होते ही है परेशाँ के लिए ,तुम फ़िक्र ना करो।

अनाज के भण्डार पानी में सड़ता है... सड़ने दो
अनाज को बचाने की तुम फ़िक्र ना करो.।

भूख से किसान तड़फ तड़फ कर मरता है... मरने दो
उसके भूख मिटाने की तुम  फ़िक्र ना करो।

बटर चिकेन, क्रीम- पुडिंग से तूम  डिनर किया करो
सुखी रोटी भी किसान को नसीब हो न हो ,फ़िक्र ना करो.। 

कुपोषण ,बिमारी से किसान हो गया हड्डी का ढांचा
उसके स्वस्थ सुधारने की उपाय की तुम फ़िक्र ना करो.।

फटे पुराने कपड़ों से इज्जत ढँक रहा है किसान
उनकी बहु बेटियों की इज्जत की तुम फ़िक्र ना करो.।

कुत्ते के नसीब में है ब्रेड बिस्कुट ,इंसान के नसीब में है भूख
कुत्ते के लिए भारत चमकाओ, इंसान का तुम फ़िक्र ना करो। 

बेदर्द हाकिम है "प्रसाद", जितना चाहे फरियाद कर लो
मक्कारी से अपना घर भर लो ,जन कल्याण की फ़िक्र ना करो.।

कालीपद "प्रसाद "
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Sunday, 18 August 2013

नए मेहमान







प्रिय मित्रों , 
आज मैं अपनी ख़ुशी आपसे बाँटना चाहता हूँ.। बहुत दिनों के बाद हमारे घर में दो नए मेहमानों का आगमन हुआ है.। मेरे भतीजे अजय को पुत्र रत्न प्राप्त हुआ और मेरी पुत्री गीतांजली और दामाद श्रीराम के घर लक्ष्मी रूपी पुत्री-रत्न का आगमन हुआ.। अजय का पुत्र का जन्म १० अगस्त को और गीतांजली की पुत्री का जन्म १४ अगस्त को हुआ.। मेरे वंश के नए सदस्यों को आपके आशीर्वाद की आवश्यकता है। आपके आशीर्वाद से ही उनके सुखी और निष्कंटक जीवन का रास्ता और प्रशस्त होगा। हम आपके शुभाशीष के लिए आभारी होंगे।
गीतांजली की पुत्री का तस्वीर संलग्न हैं. अजय का पुत्र रायपुर में हैं ,उसकी तस्वीर उपलब्ध नहीं हो पाया।  

 



श्री राम -गीतांजली  की सुकन्या







आपका
कालीपद  "प्रसाद"

Wednesday, 14 August 2013

मैं हूँ भारतवासी।






ना मैं हिन्दू ,न मुसलमान , न ईसाई ,न जैन ,बौद्ध ,पारसी
भारत   का    रहने  वाला   हूँ ,   मैं   हूँ   भारतवासी।

न  हिंदी ,न मराठी ,न बंगाली ,तेलगु न तमिल भाषी
भारत   का    रहने  वाला   हूँ ,   मैं   हूँ   भारतवासी।

भात ,रोटी ,इडली ,डोसा ,रसगुल्ला, पोहा ,लस्सी
भारत का हर जायका पसंद मुझे, मैं हूँ भारतवासी।

घाघरा- चोली ,धोती -कुर्ता, सलोवर-कमीज हो या साडी
 भारत का हर परिधान पसंद मुझे, मैं हूँ भारतवासी।

अरुणाचल से कच्छ और काश्मीर से कन्याकुमारी
हर दिल भारत का दिल है ,हर चेहरा है भारतवासी।

भरतनाट्यम ,कुचिपुड़ी ,कत्थक ,डांडिया या ओडिसी
मौलिकता का सौरभ पसंद मुझे , मैं हूँ भारतवासी।

चंपा, चमेली, गुलाब, मोगरा, हो रातरानी सुबासी
महक इनके मन मोह लेता मेरा , मैं हूँ भारतवासी।

होली हो या दिवाली ,क्रिसमस हो या रमजान चंद्रमासी 
प्रेम से प्रेरित हर त्यौहार पसंद मुझे,मैं हूँ भारतवासी।

ऐ भारत के आकाओं,अहसास करो,तुम भी हो भारतवासी
केवल मैं नहीं कहता यह ,कहते हैं सब भारतवासी।

आज़ादी का "प्रसाद " ना भोगो अकेला, ना करो ऐयाशी
सम्पद सब रय्यत का है ,बांटो उनमें ,बनो सच्चा भारतवासी।

कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित

Thursday, 8 August 2013

नेताजी सुनिए ! **




गरीबों की मौत पर तमशा  होता है ,गौर से देखिये
मुआबजा का एलान होता है ,पैसा नहीं ,तमाशा बंद कीजिये।

गरीबी  के बदले गरीब को मिटाना आसान है
मिड डे भोजन में जहर देकर ,मारना बंद कीजिये।

हर ज़ुल्म के पीछे कोई शातिर कातिल जरुर है 
कातिल को सुरक्षा देती सरकार ,जाँच की नौटंकी बंद कीजिये।

कानून का हवाला देते हैं ,क़ानून के बनाने वाले 
अपने हक़ में क़ानून को तोड़ मरोड़ना बंद कीजिये।

लांघकर स्वार्थ की दहलीज़ ,बाहर आकर देखिये 
रूह डर से काँप जाएगी ,निर्धन की जिंदगी जी कर देखिये। 

गरीब के भूख पर ज्यादा भाषण मत झाड़िए 
खाद्य सुरक्षा बिल ही नहीं ,उनकी भूख मिटाकर देखिये।

"जेड " सुरक्षा महँगी है,इसे आप रख लीजिये 
" ब्रेड " सुरक्षा  सस्ती है , इसे गरीब को दे दीजिये।


कालीपद "प्रसाद "


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