Saturday 18 May 2019

ग़ज़ल


जिंदगी तो  बेवफा है क्या करें
दंड तो हमको मिला है क्या करें ?

छोड़ कर जब से गई लौटी नहीं
दिल के कोने दुख छुपा है क्या करें ?

जानते हैं झूठ कहते  रहनुमा
सब करारें खोखला है, क्या करें ?

कुछ कहे तो कोर्ट जाते हैं जनाब
बंद मुँह जीना कजा है  क्या करें ?

खो गई है जिंदगी की आस भी
आसरा भी ना बचा  है क्या करें ?

जिंदगीकालीमिली थी मुफ्त मे
मुफ्त में सब दुख मिला है क्या करें ?
 
कालीपद 'प्रसाद'

Wednesday 8 May 2019

ग़ज़ल

२१२२  २१२२  २१२२  २१२
सब तन्हा इस धरा पर, संग जाता कौन है ?
कौन जाने स्वर्ग से भी साथ आया कौन है ?

खोज में है संत साधू किस धरा पर स्वर्ग है
भाँग पीते हाथ मलते स्वर्ग पाया कौन है ?

सार सब ग्रंथों का’ इक ईश्वर नहीं है दूसरा
किन्तु दावा कौन करता, धर्म अच्छा कौन है ?

धर्म में विद्वेष है, हर मज़हबी का दावा’ है
धर्म उसका श्रेष्ट है पर,श्रेष्ट सच्चा कौन है ?

एक है बाज़ार यह संसार, बिकता सब यहाँ
अब पता करना ज़रा, ईमान बेचा कौन है ?

न्याय या अन्याय, सब कुछ चल रहा है आज तक
फ़क्त सबसे न्याय हो, अब न्याय सोचा कौन है ?

जो मिले खाओ, कभी नखरे न ‘काली’ तुम करो
मुफलिसों में दूध रबड़ी, नित्य खाता कौन है ?

कालीपद 'प्रसाद'