धनाक्षरी ( मनहर) ८,८,८,७ (वसंत पञ्चमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनायें मित्रों )
सरस्वती नमस्तुते, विद्या वुद्धि प्रदायिनी
स्तुति अहं करिष्यामि, सर्व सौभाग्य दायिनी |
स्तुति अहं करिष्यामि, सर्व सौभाग्य दायिनी |
दिव्य ज्ञान दिव्य मूर्ति, धवल वस्त्र धारिणी
हंसारूढ़ा वीणा पाणि, हृद तम हारिणी |
हंसारूढ़ा वीणा पाणि, हृद तम हारिणी |
विश्व रुपे विशालाक्षी, ज्ञान प्रज्ञा प्रदायिनी
भक्त इच्छा पूर्णकारी, सिद्धि वर दायिनी |
भक्त इच्छा पूर्णकारी, सिद्धि वर दायिनी |
सर्व सिद्धि दात्री माता, तू ही तो है वेदमाता
तू अगर प्रसन्न है, प्रसन्न है विधाता |
तू अगर प्रसन्न है, प्रसन्न है विधाता |
तू ही शांति स्वरूपा है, सूक्ष्म रुपे अवस्थिता
देव दैत्य नर कपि, सब में तू पूजिता |
देव दैत्य नर कपि, सब में तू पूजिता |
माघ की शुक्ल पञ्चमी, माँ सरस्वती की पूजा
ज्ञान, कला, गान विद्या की देवी नहीं दूजा |
ज्ञान, कला, गान विद्या की देवी नहीं दूजा |
ज्ञान विज्ञानं रूप में, पूजूँ तुझे हर बार
श्रद्धा सुमन अर्पण, कर तू माँ स्वीकार |
श्रद्धा सुमन अर्पण, कर तू माँ स्वीकार |
कालीपद 'प्रसाद'