गर नेता भ्रष्टाचार
मुक्त होता ,भारत एक विकसित देश होता,
नेता गर
इमानदार होता ,कर्मचारी भी नेताओं से खौप खाता l
लुट का
नोट नेता रखता है,बक्से,बोरे,गाडी और विदेशी बैंको में
बिस्तर
के नीचे,निवेशकर बेनामी जायदाद और सोने के गहने में l
सौ कदम क्या चले अभी अभी ,घर से निकलकर बरखुरदार
,
करने लगे गुणगान खुद,अपनी चाल चलन और संस्कार पर l
जब से बैठा है सिंहासन पर,कालाधन का रंग हो गया
सफ़ेद
अंगूर खट्टा है या मीठा,लग गया है पता,दोनों में
क्या है भेद l
डंका पीटना छोड़कर गर,सब नेता काम पर लगाए ध्यान
जनता का संकट दूर होगा, भारत का होगा कुछ कल्याण
l
संसार में न तुम्हारा कोई मित्र है,न कोई शत्रु
है जन्मजात
शत्रु और मित्र बनाते उन्हें ,तुम्हारे अपने
विचार और बात l
कालीपद "प्रसाद"
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