Sunday, 16 June 2013

पिता

१ ६ जून पितृ दिवस है ,इस अवसर पिता को शत शत नमन।



पिता धर्म ,पिता कर्म , पिता ही परमतप :

पितरी प्रतिमापन्ने , प्रीयन्ते सर्व देवता।


अर्थ : - पिता का सेवा करना पुत्र का परम धर्म है ,यही उसका कर्म और यही  उसका श्रेष्ट तपस्या है। पिता के स्वरुप में सब देवता समाहित है , इसीलिए पिता  के प्रसन्न होने पर सब देवता प्रसन्न होते हैं।

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नत मस्तक श्रद्धापूर्वक पिता को शत सहस्र कोटि प्रणाम है।

पितृ  चरण कमलों में, शब्दों का श्रधासुमन अर्पित है।।                    

                                                               







पिता ही धर्म है ,पिता ही कर्म है , है वही तप का आधार ,

देवों  में देव "महादेव" ,श्रृष्टिकर्ता, किया  हैं प्राण का संचार।

माँ  है   धरती   ममतामयी ,   ममता  फैली है  जग  में  सारा .

पिता शक्त है ऊपर से, कोमल अन्दर,ज्यों नारिकेल आकारा।

पुत्र -पुत्री ,पत्नि, बूढ़े माँ बाप का ,सबका पिता है एक सहारा,

बीमारी हो या कोई और संकट , हर हाल में पिता है रक्षक हमारा।

बचपन में गिरे ,उठे, तब ऊँगली पकड़कर चलना शिखाया 

घुटनों के बल घोडा बन कर ,पीठ में चढ़ाकर खेल खिलाया.

क्या अच्छा, क्या बुरा ,अच्छा- बुरा का पाठ  पढ़ाया  

बचे कैसे बुराई  से , बुरी आदत से बचना शिखाया।

कभी प्यार से गले लगाया , गलती करने पर डांट लगाया ,

भाव भवना से ऊपर उठकर , विवेक से काम लेना सिखाया।

हम बच्चों के झगडे झंझटों को, मिनटों में सुलझाया ,

प्यार से हो, डांट कर हो ,हमें अनुशासन का पाठ पढ़ाया।

 पिता है जैसे  बरगत का पेड़ , विशाल है इसकी छाया,

सुरक्षित हैं हम सब इसमें ,आंधी तूफान या हो भीषण वर्षा।

भाग्यशाली हैं हम, जिनके सर पर है पिता- बरगत की छाया,

पूछो तकलीफें उन अभागों से ,जिसने बचपन में पिता को खोया।

मेहनत कर पढ़ाते लिखाते पालते ,पेट भरते सब बच्चों का,

हर कष्ट झेलकर खुद ,निष्कंटक करते पथ हर संतान का।

सब दुःख दर्द छुपा लेते छाती में ,अश्रु को भी छलकने नहीं देता,

दर्द का सागर पीकर खुद , बच्चों की छोटी छोटी इच्छा पूरी करता।

ऐसा है पिता महान, कद है नीला आकाश से भी ऊँचा,

ह्रदय उनका इतना विशाल है , लगता है अन्तरिक्ष छोटा।


पिता को शत शत नमन।

कालीपद "प्रसाद "

©सर्वाधिकार सुरक्षित






38 comments:

  1. पिता ही धर्म है वही कर्म है.. क्या बात है

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  2. पितृ दिवस को समर्पित सुंदर रचना, हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  3. सर्वे गुणाः पित्र्यमाश्रयन्ते :-)

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  4. हैप्पी फादर्स डे...बहुत सुंदर।

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  5. sahi bat kitna bhi wayakt karo kam hai .....

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  6. बहुत सुन्दर काम की बातें हैं , आचरण के लिए।
    पितृ दिवस की शुभकामनायें।

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  7. सार्थक बातें काही हैं .... पिता का महत्त्व पिता बनाने पर पता चलता है ।

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  8. पापा आपके प्रति कृतज्ञ हूं ... शुक्रगुजार भी ...इस जीवन की नियामत के लिए ....

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  9. सुन्दर और भावभरी रचना..

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  10. पिता का स्थान बह्रमा के स्वरुप रखा गया है ...
    बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति है ... आपको बधाई इस दिन की ...

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  11. सार्थक लेखनी ....हर पिता को नमन ...जो अपने परिवार के लिए ही जीता है

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  12. हरेक के जीवन में माँ और पिता की महत्ता असीम है. पितृ दिवस पर सुंदर सार्थक प्रस्तुति.

    बधाई.

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  13. पितृ दिवस को समर्पित बेहतरीन व सुन्दर रचना...
    शुभकामनायें...

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  14. पितृ दिवस पर बड़े सुंदर शब्दों के साथ पिता के लिये अपनी अंतर की भावनाओं को अभिव्यक्ति दी है ! बहुत सुंदर रचना !

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  15. बहुत सुंदर भावपूर्ण लाजबाब प्रस्तुति,,,

    RECENT POST: जिन्दगी,

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  16. बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...

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  17. अपनी पराकाष्‍ठा को छूती हुई आपकी रचना आभार
    मेरी नई पोस्‍ट पढिये और अपने विचारों से मुझे भी अवगत करार्इ्रये
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  18. पिता का हृदय सचमुच बहुत विशाल होता है ....
    बहुत ही सुन्दर रचना
    साभार !

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  19. सच पिता जी ऐसे ही होते हैं
    मन के भीतर पनपती सुंदर और सच्ची अनुभूति
    पिता को नमन
    सादर




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  20. बहुत सुंदर और निर्मल भावनाएं शब्दों में रच गईं ....सभी पिताओं को नमन...

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  21. पिता का स्थान सर्वोपरी होता है बहुत सुन्दर ! अति सुन्दर !!!

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  22. पिता का छाता तो है ही स्वार्थहीन .लौकिक (देह के पिता )पिता का भी एक पिता है सर्व आत्माओं का भी वही पिता है उसकी याद में हर कर्म करें निमित्त बन तो स्वर्ग मिले .ॐ शान्ति .

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  23. पितृ दिवस को समर्पित रचना को प्रणाम

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  24. सार्थक बातें काही हैं पितृ दिवस की शुभकामनायें।

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  25. This comment has been removed by the author.

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  26. fathers day par prabhavshali rachna....abhar

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  27. अनुपमेय रचना |

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  28. आपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है…
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