१ ६ जून पितृ दिवस है ,इस अवसर पिता को शत शत नमन।
पिता धर्म ,पिता कर्म , पिता ही परमतप :
पितरी प्रतिमापन्ने , प्रीयन्ते सर्व देवता।
अर्थ : - पिता का सेवा करना पुत्र का परम धर्म है ,यही उसका कर्म और यही उसका श्रेष्ट तपस्या है। पिता के स्वरुप में सब देवता समाहित है , इसीलिए पिता के प्रसन्न होने पर सब देवता प्रसन्न होते हैं।
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नत मस्तक श्रद्धापूर्वक पिता को शत सहस्र कोटि प्रणाम है।
पितृ चरण कमलों में, शब्दों का श्रधासुमन अर्पित है।।
पिता ही धर्म है ,पिता ही कर्म है , है वही तप का आधार ,
देवों में देव "महादेव" ,श्रृष्टिकर्ता, किया हैं प्राण का संचार।
माँ है धरती ममतामयी , ममता फैली है जग में सारा .
पिता शक्त है ऊपर से, कोमल अन्दर,ज्यों नारिकेल आकारा।
पुत्र -पुत्री ,पत्नि, बूढ़े माँ बाप का ,सबका पिता है एक सहारा,
बीमारी हो या कोई और संकट , हर हाल में पिता है रक्षक हमारा।
बचपन में गिरे ,उठे, तब ऊँगली पकड़कर चलना शिखाया
घुटनों के बल घोडा बन कर ,पीठ में चढ़ाकर खेल खिलाया.
क्या अच्छा, क्या बुरा ,अच्छा- बुरा का पाठ पढ़ाया
बचे कैसे बुराई से , बुरी आदत से बचना शिखाया।
कभी प्यार से गले लगाया , गलती करने पर डांट लगाया ,
भाव भवना से ऊपर उठकर , विवेक से काम लेना सिखाया।
हम बच्चों के झगडे झंझटों को, मिनटों में सुलझाया ,
प्यार से हो, डांट कर हो ,हमें अनुशासन का पाठ पढ़ाया।
पिता है जैसे बरगत का पेड़ , विशाल है इसकी छाया,
सुरक्षित हैं हम सब इसमें ,आंधी तूफान या हो भीषण वर्षा।
भाग्यशाली हैं हम, जिनके सर पर है पिता- बरगत की छाया,
पूछो तकलीफें उन अभागों से ,जिसने बचपन में पिता को खोया।
मेहनत कर पढ़ाते लिखाते पालते ,पेट भरते सब बच्चों का,
हर कष्ट झेलकर खुद ,निष्कंटक करते पथ हर संतान का।
सब दुःख दर्द छुपा लेते छाती में ,अश्रु को भी छलकने नहीं देता,
दर्द का सागर पीकर खुद , बच्चों की छोटी छोटी इच्छा पूरी करता।
ऐसा है पिता महान, कद है नीला आकाश से भी ऊँचा,
ह्रदय उनका इतना विशाल है , लगता है अन्तरिक्ष छोटा।
पिता को शत शत नमन।
कालीपद "प्रसाद "
©सर्वाधिकार
सुरक्षित
पिता ही धर्म है वही कर्म है.. क्या बात है
ReplyDeleteपितृ दिवस को समर्पित सुंदर रचना, हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
सर्वे गुणाः पित्र्यमाश्रयन्ते :-)
ReplyDeleteहैप्पी फादर्स डे...बहुत सुंदर।
ReplyDeletesahi bat kitna bhi wayakt karo kam hai .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर काम की बातें हैं , आचरण के लिए।
ReplyDeleteपितृ दिवस की शुभकामनायें।
सार्थक बातें काही हैं .... पिता का महत्त्व पिता बनाने पर पता चलता है ।
ReplyDeleteपापा आपके प्रति कृतज्ञ हूं ... शुक्रगुजार भी ...इस जीवन की नियामत के लिए ....
ReplyDeleteआपको भी पितृ दिवस की हार्दिक सुभकामनाएँ
ReplyDeleterecent post
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सुन्दर और भावभरी रचना..
ReplyDeleteपिता का स्थान बह्रमा के स्वरुप रखा गया है ...
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति है ... आपको बधाई इस दिन की ...
सार्थक लेखनी ....हर पिता को नमन ...जो अपने परिवार के लिए ही जीता है
ReplyDeleteहरेक के जीवन में माँ और पिता की महत्ता असीम है. पितृ दिवस पर सुंदर सार्थक प्रस्तुति.
ReplyDeleteबधाई.
बहुत खूब...
ReplyDeleteआभार आपका !
ReplyDeleteपितृ दिवस को समर्पित बेहतरीन व सुन्दर रचना...
ReplyDeleteशुभकामनायें...
पितृ दिवस पर बड़े सुंदर शब्दों के साथ पिता के लिये अपनी अंतर की भावनाओं को अभिव्यक्ति दी है ! बहुत सुंदर रचना !
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण लाजबाब प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: जिन्दगी,
बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteअपनी पराकाष्ठा को छूती हुई आपकी रचना आभार
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पिता का हृदय सचमुच बहुत विशाल होता है ....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना
साभार !
ReplyDeleteसच पिता जी ऐसे ही होते हैं
मन के भीतर पनपती सुंदर और सच्ची अनुभूति
पिता को नमन
सादर
बहुत सुंदर और निर्मल भावनाएं शब्दों में रच गईं ....सभी पिताओं को नमन...
ReplyDeleteपिता का स्थान सर्वोपरी होता है बहुत सुन्दर ! अति सुन्दर !!!
ReplyDeleteपिता का छाता तो है ही स्वार्थहीन .लौकिक (देह के पिता )पिता का भी एक पिता है सर्व आत्माओं का भी वही पिता है उसकी याद में हर कर्म करें निमित्त बन तो स्वर्ग मिले .ॐ शान्ति .
ReplyDeleteपितृ दिवस को समर्पित रचना को प्रणाम
ReplyDeleteसार्थक बातें काही हैं पितृ दिवस की शुभकामनायें।
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ReplyDeletefathers day par prabhavshali rachna....abhar
ReplyDeleteअनुपमेय रचना |
ReplyDeleteati sundar vichar
ReplyDeleteआपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है…
ReplyDeleteमैं स्वास्थ्य से संबंधित छेत्र में कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो कृपया यहां पर जायें
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