काले घना कजराले बादल
उमड़ते घुमड़ते मचलाते बादल
गगन के आँगन में नाचते बादल
खुशियों का सन्देश लाते बादल
शराबियों सा लडखडाते बादल
झुमझुम कर बरस जा बादल।।
बादल से बादल टकराते बादल
दामिनी के जन्म दाता बादल
दामिनी दमक से चमकता बादल
मेघनाद सा गर्जन करता बादल
रुक रुक कर बरसता बादल
रिमझिम रिमझिम बरसता बादल।।
रुई सा सफ़ेद कपसिले बादल
हवा में उड़ जाता हल्का बादल
पानी से भरा भारी काला बादल
किसान का भाग्यविधाता बादल
गर्मी से राहत दिलाता बादल
झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।
तू बरसता है ,किसान मुस्कुराता है बादल
धरती पर हरियाली छा जाती है,बादल
आग उगलता सूरज को ढकलेता बादल
झुलसती धरती की आग बुझाता बादल
प्यासी धरती का प्यास बुझाता बादल
झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।
देश विदेश में घूमता बादल
सूरज के किरणों से खेलता बादल
सप्तरंगी इन्द्रधनुष बनाता बादल
सबका मन बहलाता बादल
खेतो में तू बरस जा बादल
झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।
जलधि का जलद पुत्र बादल
पुरवैया हवा का मित्र बादल
पश्चिम से आता पावस का बादल
हेमन्त को घर लौट जाता बादल
जाते जाते फिर बरसता बादल
झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।
मानव पर इतना क्रोध क्यों बादल
क्रोध उतारा केदारनाथ पर बादल
देव भी नहीं बचा तेरे क्रोध से बादल
त्राहि त्राहि पुकारे शिव के भक्त बादल
हजारों भक्तों ने जान गँवाए बादल
धीरज धरकर धरती पर बरस जा बादल।।
मानव का अपराध अनेक तू जानता बादल
काटकर वृक्ष को तुझसे वैर बढाया बादल
पहाड़ों के दोहन से तू नाराज है बादल
पर्यावरण का दुश्मन है नर तू जानता बादल
पर तू तो इतना क्रोधित ना हो बादल
संयम रख तू ,सुधरेगा मानव ,यह जान ले बादल।।
पशु पक्षी जीव का तू जीवन है बादल
न्योता स्वीकारा ,तू आया बादल
आभार तेरा , तू दयालु बादल
बरसकर भर दे नदी पोखर बादल
अगले बरस फिर आना बादल
झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।
कालीपद "प्रसाद "
©सर्वाधिकार सुरक्षित
उमड़ते घुमड़ते मचलाते बादल
गगन के आँगन में नाचते बादल
खुशियों का सन्देश लाते बादल
शराबियों सा लडखडाते बादल
झुमझुम कर बरस जा बादल।।
बादल से बादल टकराते बादल
दामिनी के जन्म दाता बादल
दामिनी दमक से चमकता बादल
मेघनाद सा गर्जन करता बादल
रुक रुक कर बरसता बादल
रिमझिम रिमझिम बरसता बादल।।
रुई सा सफ़ेद कपसिले बादल
हवा में उड़ जाता हल्का बादल
पानी से भरा भारी काला बादल
किसान का भाग्यविधाता बादल
गर्मी से राहत दिलाता बादल
झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।
तू बरसता है ,किसान मुस्कुराता है बादल
धरती पर हरियाली छा जाती है,बादल
आग उगलता सूरज को ढकलेता बादल
झुलसती धरती की आग बुझाता बादल
प्यासी धरती का प्यास बुझाता बादल
झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।
देश विदेश में घूमता बादल
सूरज के किरणों से खेलता बादल
सप्तरंगी इन्द्रधनुष बनाता बादल
सबका मन बहलाता बादल
खेतो में तू बरस जा बादल
झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।
जलधि का जलद पुत्र बादल
पुरवैया हवा का मित्र बादल
पश्चिम से आता पावस का बादल
हेमन्त को घर लौट जाता बादल
जाते जाते फिर बरसता बादल
झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।
मानव पर इतना क्रोध क्यों बादल
क्रोध उतारा केदारनाथ पर बादल
देव भी नहीं बचा तेरे क्रोध से बादल
त्राहि त्राहि पुकारे शिव के भक्त बादल
हजारों भक्तों ने जान गँवाए बादल
धीरज धरकर धरती पर बरस जा बादल।।
मानव का अपराध अनेक तू जानता बादल
काटकर वृक्ष को तुझसे वैर बढाया बादल
पहाड़ों के दोहन से तू नाराज है बादल
पर्यावरण का दुश्मन है नर तू जानता बादल
पर तू तो इतना क्रोधित ना हो बादल
संयम रख तू ,सुधरेगा मानव ,यह जान ले बादल।।
पशु पक्षी जीव का तू जीवन है बादल
न्योता स्वीकारा ,तू आया बादल
आभार तेरा , तू दयालु बादल
बरसकर भर दे नदी पोखर बादल
अगले बरस फिर आना बादल
झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।
कालीपद "प्रसाद "
©सर्वाधिकार सुरक्षित
sundar abhivyakti...
ReplyDeleteसबको प्राण दिलाते बादल..
ReplyDeleteबादल पर सुंदर रचना और अभिव्यक्ति .......!!
ReplyDeleteबादलों के मौसम बच्चो को भी बहुत सुहाते हैं. पानी में भीगना जमा पानी में कागज की नाव चलाना और न जाने क्या क्या..
ReplyDeleteऐसे में सुंदर बालगीत बच्चों को समर्पित.
बधाई.
बढ़िया है यह कविता भी
ReplyDeleteसादर-
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार ।
ReplyDeleteजीवन ज्योति जलाते बादल
ReplyDelete
ReplyDeleteपोस्ट बहुत पसंद आया
सादर
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुन्दर कविता ।
ReplyDeleteसुंदर,सफेद काले बादल,
ReplyDeleteजीवन देते लेते बादल,,,,
RECENT POST: ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे,
वाह, बहुत ही सुंदर रचना.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुंदर मन को छूती हुई रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार.............!
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
wah sundar rachna...badal kay madhyam say kitna kuch keh diya apne
ReplyDeleteजीवन की प्यास बुझाने वाले बादल कब जीवन की आस बुझा देते हैं पता ही नहीं चलता कुछ प्राकर्तिक स्वभाव कुछ मानव स्वभाव दोनों के ऊपर निर्भर है ,बहुत सुन्दर सार्थक सन्देश देती हुई प्रस्तुति हेतु बधाई
ReplyDeleteसभी भाव आ गये।
ReplyDeleteअच्छी बतियाँ की हैं बादल से .
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक प्रस्तुति..आभार
ReplyDeleteमन को छूती हुई सुंदर अनुभूति
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
बधाई सादर
वाह.सुन्दर प्रभावशाली.बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleterachanakar ke sahaj bal mn ki sundar abhivykti ......badhai sir.
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक और बादल भरी रचना ...
ReplyDeleteअब तो इसी बादल ने कहर दिया .....!!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...आभार !
ReplyDeleteबादल बादल बादल बादल
ReplyDeleteदेखो झूम के आए बादल |
---अच्छा बादल गीत ...पर बालक गीत क्यों कहा...बालक कहाँ इतनी लम्बी बातें कह सकते हैं...
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकही जीवन देता है कही कहर बरपाता है यह बादल
ReplyDeleteसार्थक रचना ..!
bhut sun der prastuti
ReplyDeleteबहुत सुंदर संदेश परक रचना आभार आपका । मेरी कहानी "बोझ" भी पढ़िये ।
ReplyDeleteसुंदर रचना….
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