वो दूल्हा कहाँ से लाऊं ,जो तुम्हे पसंद हो
देवों के लिए नहीं, मापदंड इंसान के लिए हो |
कहने के लिए देव हैं, पर हैं सब सूरा प्रिय
शराब से नफरत है,चाहती हो दूल्हा शराबी न हो |
सुन्दर हो ,कमाऊ हो ,मृदुभाषी हो, स्वलम्बी हो
सबसे पहले स्वभाव चरित्र से एक अच्छा इंसान हो |
सर्वगुण सम्पन्न हो,मानव में यह सम्भव नहीं
मानव का अवगुण हो ,पर दहेज़ का लालची न हो |
गर सपना अपना पूरा न कर पाया, सत कर्मों से
दहेज़ से भरपाई करने की, उनकी चाहत न हो |
जिसने कहा पति परमेश्वर है ,गलत कहा है
पति न देव हो ,न दैत्य हो ,पत्नी जैसा एक इंसान हो |
तुम्हे जो पसंद है ,वो मिले तो अच्छा है
उससे अच्छा वो है ,जो तुम्हे चाहता हो |
दुल्हों का बाज़ार लगा है ,बिकने के लिए सब बैठे हैं
कोई ऐसा दूल्हा है क्या ? जो बिकने के लिए राजी न हो |
वही होगा स्वाभिमानी ,होगा सच्चा हम सफ़र
खास हो या आम हो ,पत्नी के मान का रक्षक हो |
सूरत अच्छ हो पर सीरत उससे अच्छा हो
वह 'आम' हो पर 'आम ' में वह 'खास' हो |
कालीपद "प्रसाद"
©सर्वाधिकार सुरक्षित
हमारे ही परिवेश की विडंबना को प्रबिम्बित करती पंक्तियाँ .....
ReplyDeleteसही मायने में दूल्हा खोजना सबसे मुश्किल काम है ....परेशानी को बयां करता सटीक पोस्ट है
ReplyDeleteबड़ी दुकानें हैं सजी, जा सीधे बाजार |
ReplyDeleteढूँढे दूल्हा ना मिले, जाकर वहाँ निहार |
जाकर वहाँ निहार, हार इक मस्त खरीदें |
लख लखपति पति एक, जाग जाती उम्मीदें |
किन्तु भरी नहिं मांग, मांग के अपने माने |
जाय हार भी हार, हार से बड़ी दुकानें ||
दोहे के माध्यम से आपके सुन्दर टिप्पणी के लिए आभार !
Deleteबढ़िया......
ReplyDeleteकहाँ से लायेंगे मगर ऐसा वर ???
सादर
अनु
वाह !सटीक टिपण्णी दूल्हों के बाज़ार पर इंसानी फितरत पर।
ReplyDeleteसर , बहुत ही बढ़िया बात कही है आपने , कि न तो देव हो , न दैत्य हो , पत्नी जैसा एक इंसान हो , यानि कि जैसे पत्नी श्री समर्पण का भाव रखती है , वैसे ही बिल्कुल , आदरणीय बहुत बढ़िया , धन्यवाद
ReplyDeleteनया प्रकाशन --: अपने ब्लॉग या वेबसाइट की कीमत जाने व खरीदें बेचें !
॥ जै श्री हरि: ॥
आपका आभार !
ReplyDeleteसुंदर दूल्हा :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर सटीक उत्कृष्ट रचना ....!
ReplyDelete==================
नई पोस्ट-: चुनाव आया...
सटीक और जीवन्त रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना....
ReplyDelete:-)
Bahut Sundar..Bahut Utkrisht Sir.
ReplyDeletebahut mushkil hai aaj ke daur mein... Sateek abhivyakti
ReplyDeleteऐसा दूल्हा मिल जाये तो दुल्हन की किस्मत चमक उठे। … सुन्दर अभिव्यक्ति दादा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना .. बहुत सटीक चोट ...
ReplyDeletewah man gaye apko......par sach baat tho ye hai.....aisa insan bhagwan ney banana band kar diya hai
ReplyDeleteदूल्हा वही हो जो आम होकर खास हो .सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteरामराम.
चिराग हाथ में लेकर ढूंढना पड़ेगा ऐसा दूल्हा ....सच में बहुत कठिन है बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteरचना के माध्यम से जबरदस्त कटाक्ष किया है
सच में मनचाहा दूल्हा कहाँ से मिलेगा ....!
ReplyDeleteदहेज़ की ज्वलत समस्या पर लिखी उम्दा रचना ... वह दूल्हा कहा जो बिकने को तयार न हो ... खरीदार में डिमांड है जब तक भाव ऊँचे ही होंगे
ReplyDeleteCOMPYUTAR SE HI NIKAL SAKATA HAI
ReplyDeleteछांदस आडम्बर से हट कर भाव-प्रधानता के लिये साधुवाद !
ReplyDeletesunder prastuti ..आज की समस्या को बहुत ही खूबसूरत तरीके से उजागर किया है आपने ..सादर
ReplyDeleteबहुत ही विषम परिस्थिति है...अद्भुत रचना...
ReplyDeleteसुंदर रचना….
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Nice information
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