गूगल से साभार |
जब भी खो जाता हूँ
मैं नींद के आगोश में
सपने आकर चले जाते हैं
एक के बाद एक कतार में ,
किन्तु मुझे नहीं पता
क्या कहते हैं ये सपने |
बचपन बीता खेलकूद में
बेफिक्र मद मस्ती में
बिना पंख परवाज़ भरा
परियों के संगत में मैंने
किन्तु मुझे नहीं पता
क्या कहते हैं ये सपने |
उड़कर बैठे पेडों के ऊपर
नदी नालों को किया पार
मधुपान किया फुल फुल में
सैर किया हिमालय शिखर में
किन्तु मुझे नहीं पता कुछ
क्या कहते हैं ये सपने |
उम्र की सीडी ज्यों चडते गए
कुछ नए सपने आये और गए
यादों में कुछ ऐसा बसा नहीं
कुछ छाप नहीं छोड़ा जिंदगी में
इसीलिए मुझे नहीं पता कुछ
क्या कहते हैं ये सपने |
जिंदगी के इस पढाव में
बार बार क्यों आता है एक सपना
जाता हूँ प्रवास में मैं हरबार
खोकर आता हूँ सब सामान अपना
किन्तु कभी कुछ समझने ना दिया
क्या कहना चाहता है यह सपना |
ट्रेन से जाऊं या बस से जाऊं मैं
या जाऊं हवाई जहाज से ,
खो जाता है मेरा लगेज सब
मिले ना सामान,खोजूं चाहे लगन से|
कभी खो जाता है जुते मोज़े
कभी खो जाता है पेंट शर्ट,
कभी खो जाता है सब सामान
लौटता हूँ घर खाली हाथ |
सपने सब पराये,नहीं हुए कोई अपने
नहीं पता मुझे, क्या कहते ये सपने|
लग रहा है मुझे भी अब
छुट रहा है कुछ ,इस जिंदगी में
उसको बताने केलिए आतुर है सपने,पर
आ नहीं पाते ,रात कटती है जागरण में
इसीलिए मुझे नहीं पता
क्या कहते हैं ये सपने |
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
बहुत सुंदर है ये सपने :)
ReplyDeleteअंतर्मन को छूते
ReplyDeleteसपनों की दुनिया होती ही है निराली और रहस्यमयी ! बहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteबढ़िया सुन्दर रचना , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
इस लिंक पे ज़रूर पधारे क्योंकि आपकी पिछली पोस्ट " मै " की चर्चा की गयी थी , धन्यवाद !
~ I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ ~ ( ब्लॉग पोस्ट्स चर्चाकार )
मेरी रचiना से शीर्षक देने के लिए आभार आशीष भाई !
Deleteबहुत सुन्दर रचना. कुछ तो अर्थ होता है इन सपनों का, पर क्या, यह समझ नहीं आता, शायद पूर्वाभास होता है कुछ बातों का.
ReplyDeleteउम्दा रचना .... सपने जो सच हो वो अपने
ReplyDeletesach mey bahut sundar rachna.....
ReplyDeleteआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 25 . 8 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeleteमेरी रचiना से शीर्षक देने के लिए आभार आशीष भाई !
Deleteआपका आभार कुलदीप ठाकुर जी !
ReplyDeleteसुन्दर विचार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (25-08-2014) को "हमारा वज़ीफ़ा... " { चर्चामंच - 1716 } पर भी होगी।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका आभार रूपचंद्र शास्त्री जी !
Deleteवाह !
ReplyDeleteबहुत खूब !
आपका आभार सतीश जी !
Deleteबहुत अच्छी रचना आपकी।
ReplyDeleteआपका आभार अभिषेक कुमार जी !
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपका आभार सु ..मन जी !
Deleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआपका आभार कैलाश शर्मा जी !
Deleteसपने पूर्वाभास हो या बीती गटनाओं का परिणाम। असरदार तो होते हैं।
ReplyDeleteअभी तो किसी को स्वप्न फल की जानकारी नहीं है ,हो सकता है भविष्य में हो जाय !
Deleteआपका आभार!
कृपया घटनाओं पढे गटनाओं के स्थान पर।
ReplyDeleteबढ़िया और एक भावनाओ से ओत प्रोत कविता
ReplyDeleteकभी हमरे blog पर भी पधारे
http://kanpurashish.blogspot.in/
आपका आभार ताशिश जी ! जरुर आयेंगे आपभी आते रहिये !
Deleteसुंदर है .
ReplyDeleteआपका आभार!
Deleteआपका आभार स्मिता जी !
ReplyDeleteआपका आभार अनुषा जी !
ReplyDeleteआपका आभार उपासना जी !
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteआपका आभार
Deleteयाद रहें तो सोचने को विवश करते हैं सपने ...
ReplyDeleteमन के भाव लिखे अहिं आपने इस माध्यम से ...
याद रहें तो सोचने को विवश करते हैं सपने ...
ReplyDeleteमन के भाव लिखे अहिं आपने इस माध्यम से ...