वैशाख गया ,जेष्ट गया
आषाढ़ भी गया,मेघ ना आया
आकाश की ओर ताककर
किसान बहुत निराश हुआ |
पूजा हवन दुआओं का दौर
चलने लगा मंदिर मस्जिदों में
प्रसन्न न हुआ इन्द्र देवता
पूजा प्रार्थना व दुआओं से |
सावन का जब हुआ आगमन
स्वच्छ था तब भी नील गगन
अचानक एक काली रात्रि में हुआ
काले बादल का चुपचाप पदार्पण |
ना दामिनी दमक, ना सिंह गर्जन
रिमझिम रिमझिम वर्षा होने लगी
नव दुल्हन ज्यों सिसकते रोते
आवाज़ बिन चुपचाप ससुराल चली |
खुश था या दुखी था बादल
किसी को कुछ भी पता न रहा
बिना विश्राम के दस दिन तक
विरही बादल लगातार रोता रहा |
न बाढ,न तूफान,न नदी में उफान
धरती ने हर बूंद को पी लिया ,
सूखे पड़े बंजर जमीन में भी
नव पल्लव से हरियाली छाया |
मन्द मन्द पश्चिमी बयार
हरियाली पर बहने लगा
दुल्हन बनी धरती के वसन में
हरा रंग का आधिपत्य रहा |
कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित
शानदार अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteहमारे शहर में सावन भी रूठा रहा
आपका आभार कुलदीप ठाकुर जी !
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति कालीपद जी |
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबेहतरीन ...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteNice post Diwali wishes 2018
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