वैशाख गया ,जेष्ट गया
आषाढ़ भी गया,मेघ ना आया
आकाश की ओर ताककर
किसान बहुत निराश हुआ |
पूजा हवन दुआओं का दौर
चलने लगा मंदिर मस्जिदों में
प्रसन्न न हुआ इन्द्र देवता
पूजा प्रार्थना व दुआओं से |
सावन का जब हुआ आगमन
स्वच्छ था तब भी नील गगन
अचानक एक काली रात्रि में हुआ
काले बादल का चुपचाप पदार्पण |
ना दामिनी दमक, ना सिंह गर्जन
रिमझिम रिमझिम वर्षा होने लगी
नव दुल्हन ज्यों सिसकते रोते
आवाज़ बिन चुपचाप ससुराल चली |
खुश था या दुखी था बादल
किसी को कुछ भी पता न रहा
बिना विश्राम के दस दिन तक
विरही बादल लगातार रोता रहा |
न बाढ,न तूफान,न नदी में उफान
धरती ने हर बूंद को पी लिया ,
सूखे पड़े बंजर जमीन में भी
नव पल्लव से हरियाली छाया |
मन्द मन्द पश्चिमी बयार
हरियाली पर बहने लगा
दुल्हन बनी धरती के वसन में
हरा रंग का आधिपत्य रहा |
कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित
शानदार अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteहमारे शहर में सावन भी रूठा रहा
सुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteदिनांक 07/08/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर
आपका आभार कुलदीप ठाकुर जी !
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति कालीपद जी |
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबेहतरीन ...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteNice post Diwali wishes 2018
ReplyDeleteNice post. Really you are a amazing writer. Thanks for sharing
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