आषाढ़ गया सुखा सुखा, किसान हुआ बेहाल
मेघ आया देर से पर,सावन को कर दिया निहाल |
दिन को बरसे, रात को बरसे,बरसे घंटों लगातार
खुशियों के आलम छाये ,मेंढक गाये गाना टर-टर
चिड़िया छुप गयी घोंसलों में,भूख से शावक बेहाल
मेघ आया देर से पर,सावन को कर दिया निहाल |
रिमझिम रिमझिम मेह गिरे,धरती ने प्यास बुझाया
किसान ख़ुशी से झूम उठा,नरम भूमि में हल चलाया
तृप्त भूमि पर जाग उठे, फिर छोटे छोटे नौ-निहाल
मेघ आया देर से पर,सावन को कर दिया निहाल |
सुबह से शाम खेत में किसान,घुटना डूबे पानी में
एक हाथ में धान का रोपा,छाता धरा है दुसरे हाथ में
हर कष्ट को सह्लेता है,सोचकर होगा भविष्य खुशहाल
मेघ आया देर से पर,सावन को कर दिया निहाल |
कहीं हल बैल खींच रहा है,कहीं चल रहा है ट्रेक्टर
खेत जोतता ,बीज बोता ,फिर फसल काटता ट्रैक्टर
मजदूर और बैल को अब,ट्रैक्टर ने कर दिया बेकार
मेघ आया देर से पर,सावन को कर दिया निहाल |
बच्चों की छुट्टी ख़तम,लाद लिया बस्ता पीठ पर
रेनकोट पहन लिया कोई,छाता है किसी के सर पर
तेज बारिश ने भिगोया सबको,भीगकर हुआ बुरा हाल
मेघ आया देर से पर,सावन को कर दिया निहाल |
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
सुंदर चित्रण...
ReplyDeleteधन्यवाद यशोदा बहन !
ReplyDeleteआपका आभार शास्त्री जी !
ReplyDeleteसुन्दर वर्षा बहार की फुहारों भरी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteसादर
सावन ना बरसा--भादों ही बरस जाय.
ReplyDeleteसावन भी बरस तो रहा है। देर से आया पर आ रहा है।
ReplyDeleteसुन्दर चित्र वर्षा रानी का ,शुक्रिया आपकी सार्थक टिप्पणियों का।
ReplyDeleteरक्षाबंधन पर शुभकामनाएं !
ReplyDeleteसुन्दर चित्रण लिए पंक्तियाँ
ReplyDeletesundar
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द चित्र...
ReplyDeleteसावन का महीना हो और वर्षा की फुहार भिगोये न ऐसा कैसे हो सकता है...सुंदर रचना...
ReplyDeletesunder rachna....barsaat ka sajeeev chitran......
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं ! बहुत अच्छी प्रस्तुति !!
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