मेरे अर्धांश को उल्फत ने मारा
बचा आधा तेरी सूरत ने मारा |
हुकूमत से यही सबकी शिकायत
हमें असबाब की' कीमत ने मारा |
नज़ाकत प्रेमिका की है क़यामत
सनम की शोखिये कुर्बत ने मारा |
शरारत है हवा की, लायी' आफ़त
मुसीबत ने लुटा किस्मत ने मारा |
विरासत में मिला था नाम, दौलत
ये' दौलत खोखला शुहरत ने मारा |
इरादा नेक था जहमत सियासत
मुसीबत में फँसे गैरत ने मारा |
कभी हम थे निहायत नेक शौहर
करे क्या ये तेरी संगत ने मारा | कालीपद 'प्रसाद'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (08-01-2019) को "कुछ अर्ज़ियाँ" (चर्चा अंक-3210) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
नववर्ष-2019 की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
shukriyaa (test)
Deleteवाह बहुत सुंदर गजल
ReplyDeleteshukriyaa
DeleteNice information
ReplyDeletehtts://www.khabrinews86.com
I have been actively posting as Neeraj Hriday on blogger from 2008. But for 6 years I disappeared doing other things and disconnected with you all.
ReplyDeleteRequesting now to connect with me at Stronglyours. I hope you will love my new avatar.