Saturday, 18 May 2019

ग़ज़ल


जिंदगी तो  बेवफा है क्या करें
दंड तो हमको मिला है क्या करें ?

छोड़ कर जब से गई लौटी नहीं
दिल के कोने दुख छुपा है क्या करें ?

जानते हैं झूठ कहते  रहनुमा
सब करारें खोखला है, क्या करें ?

कुछ कहे तो कोर्ट जाते हैं जनाब
बंद मुँह जीना कजा है  क्या करें ?

खो गई है जिंदगी की आस भी
आसरा भी ना बचा  है क्या करें ?

जिंदगीकालीमिली थी मुफ्त मे
मुफ्त में सब दुख मिला है क्या करें ?
 
कालीपद 'प्रसाद'

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