जिंदगी तो बेवफा है क्या करें
दंड तो हमको मिला है क्या करें ?
छोड़ कर जब से गई लौटी नहीं
दिल के कोने दुख छुपा है क्या करें ?
जानते हैं झूठ कहते रहनुमा
सब करारें खोखला है, क्या करें ?
कुछ कहे तो कोर्ट जाते हैं जनाब
बंद मुँह जीना कजा है क्या करें ?
खो गई है जिंदगी की आस भी
आसरा भी ना बचा है क्या करें ?
जिंदगी ‘काली’ मिली थी मुफ्त मे
मुफ्त में सब दुख मिला है क्या करें ?
कालीपद 'प्रसाद'
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteShukrita
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