Tuesday, 17 April 2012

Shirdi Sai Baba ki Aarti

आओ साईं नाथा , आओ साईं नाथा ,
मेरे मन मंदिर में बसों साईं नाथा .
मुझको  अपने शरण में ले लो साईं नाथा
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा ! 

ज्ञान हीन,  भक्ति  हीन, तंत्र मंत्र हीन मैं
क्या करूँ कैसे पूजूं , समझ नहीं आता
निज इच्छा करो कृपा दयामय दाता    
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !

दीनबंधु करुनासिंधु भक्त पीड़ा हन्ता
तुम ही बंधू, तुम ही सखा, तुमही माता-पिता
जग में  सभी  भीखारी है   दाता   साईं नाथा
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !

तुम्ही हन्ता तुम्ही पालक तुम्ही रचयिता
तुम्ही हर तुम्ही हरि तुम ही हो  विधाता  
जग में  तेरी इच्छा से ही सब कुछ होता
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !

जप तप हीन मैं कुछ नहीं आता
अहर्निशी अनगिनित गलती मैं करता
माफ करो गलती मेरे तुमहो विधाता
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !

लीला धर  लीला हेतु फकीर  रूप  धरा
तेरी कृपा पाकर रंक कुबेर बन गया
जो जैसा मागें वह वैसा ही पाता
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !

राजा या रंक हो  साधू या संत हो ,
साईं तेरी दरवार में सदा  चाकरी   करता
तुही प्रेरणा तुही कर्ता  तुही फल  दाता
 साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !

दुःख हारी भय हारी पीड़ा हारी  साईं
मेरी पीड़ा हरो तुम अन्तर्यामी साईं
कोई नहीं और मेरा किस से कहूँ  व्याथा
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !

फल - फूल दुर्बा दल  से पूजूं साईं नाथा
पञ्च नदी जल मैं कहो कहाँ से लाता
अश्रु जल से चरण तुम्हारे धोउं साईं नाथा
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !


Rachna : Kalipad "Prasad"    (कालीपद "प्रसाद ")
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