आओ साईं नाथा , आओ साईं नाथा ,
मेरे मन मंदिर में बसों साईं नाथा .
मुझको अपने शरण में ले लो साईं नाथा
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
ज्ञान हीन, भक्ति हीन, तंत्र मंत्र हीन मैं
क्या करूँ कैसे पूजूं , समझ नहीं आता
निज इच्छा करो कृपा दयामय दाता
निज इच्छा करो कृपा दयामय दाता
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
दीनबंधु करुनासिंधु भक्त पीड़ा हन्ता
तुम ही बंधू, तुम ही सखा, तुमही माता-पिता
जग में सभी भीखारी है दाता साईं नाथा
जग में सभी भीखारी है दाता साईं नाथा
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
तुम्ही हन्ता तुम्ही पालक तुम्ही रचयिता
तुम्ही हर तुम्ही हरि तुम ही हो विधाता
जग में तेरी इच्छा से ही सब कुछ होता
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
जप तप हीन मैं कुछ नहीं आता
अहर्निशी अनगिनित गलती मैं करता
माफ करो गलती मेरे तुमहो विधाता
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
जो जैसा मागें वह वैसा ही पाता
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
राजा या रंक हो साधू या संत हो ,
साईं तेरी दरवार में सदा चाकरी करता
तुही प्रेरणा तुही कर्ता तुही फल दाता
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
दुःख हारी भय हारी पीड़ा हारी साईं
मेरी पीड़ा हरो तुम अन्तर्यामी साईं
कोई नहीं और मेरा किस से कहूँ व्याथा
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
फल - फूल दुर्बा दल से पूजूं साईं नाथा
पञ्च नदी जल मैं कहो कहाँ से लाता
अश्रु जल से चरण तुम्हारे धोउं साईं नाथा
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
Rachna : Kalipad "Prasad" (कालीपद "प्रसाद ")
लीला धर लीला हेतु फकीर रूप धरा
तेरी कृपा पाकर रंक कुबेर बन गया जो जैसा मागें वह वैसा ही पाता
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
राजा या रंक हो साधू या संत हो ,
साईं तेरी दरवार में सदा चाकरी करता
तुही प्रेरणा तुही कर्ता तुही फल दाता
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
दुःख हारी भय हारी पीड़ा हारी साईं
मेरी पीड़ा हरो तुम अन्तर्यामी साईं
कोई नहीं और मेरा किस से कहूँ व्याथा
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
फल - फूल दुर्बा दल से पूजूं साईं नाथा
पञ्च नदी जल मैं कहो कहाँ से लाता
अश्रु जल से चरण तुम्हारे धोउं साईं नाथा
साष्टांग प्रणाम तुम्हे मेरे साईं नाथा !
Rachna : Kalipad "Prasad" (कालीपद "प्रसाद ")
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