Tuesday, 6 November 2012

दीप की दुआएँ






मेरी अरमान तुम्हारे हाथ में है
तुम इसकी ख्याल करो ,
मुझे जलाकर तुम्हे ख़ुशी मिलती है ?
मुझे जला दो।
जलना मेरी नियति  है ,
रौशनी फैलाना मेरा काम है .
अँधेरा चाहे कहीं भी हो
उसे दूर करना मेरा फ़र्ज है।
अरमान है, कि दूर करूँ अँधेरा जग का
और जगमगाए यह जग सारा ,
हर दिन हर पल खुशियाँ बाँटू घर घर में ,
हर दिन मनाये दिवाली या दशहरा।

मैं तुम्हे अपनी जीवन ज्योति दिए देता हूँ
इससे तुम अपना मंदिर उजाला कर लो
अमावश् में ख़ुशी ख़ुशी दीपावली मना लो।
अवसर तुम्हारे हाथ में है
तुम अपने घर में उजाला कर लो
या औरों के घर में आग लगा दो
लेकिन मेरी नहीं तो
अपनी अरमान का ख्याल करो।

मुझ पर रहम मत करो
मुझको जलने दो ,
जलने में ही मुझे ख़ुशी है
क्योंकि तुम खुश हो। .
तिल तिल जलकर मैं
अनंत में मिल जाऊंगा
अनंत तक तुम्हारा यश फैले
आशीष यही दिए जाऊंगा।

रौशनी रहे सदा जीवन में तुम्हारे
अँधेरा न कभी छू पाए तुम्हे
अलक्ष्मी दूर भाग जाएँ और
सर पर तुम्हारे सदा लक्ष्मी का हाथ रहे।

दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं !!!

कालीपद "प्रसाद"
©  सर्वाधिकार सुरक्षित

4 comments:

  1. शुभकामनायें उजालों की

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  2. ये आशीष यूँ ही सदा खुशियों का झिलमिलाता रहे

    सादर

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  3. खुशी के दीप यूँ ही जलते रहें

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  4. ये दीप यूँ ही जलती रहे..दीपावली की शुभकामनाएं..

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