रिश्तों का पौधा बड़ा नाजुक होता है
प्यार-खाद,स्नेह-पानी से सींचना पड़ता है
व्यवहार में अपनापन,बातों में सहानभूति हो
वर्ना रिश्तों का पौधा मुरझा जाता है |
हँसना,रोना,रूठना,मनाना रिश्तों में जायज है
इन सबके सीमाओं में रिश्ता बंधा रहता है
इन सीमाओं की अतिक्रम न करे कोई कभी
गुस्से के आग में जल रिश्ते जाते हैं |
मधुरस का गिलास लोग छीन ले जाते हैं
गम का बोतल हाथ में थमा जाते हैं
सोचता हूँ मय पीकर गम को भुला दूँ
नफरत की दुनिया में मय, प्रेम जगाता है|
मन वेचैन है ,नींद आँखों से गायब है
ख़्वाब कैसे आये ,पलकों में दुरी है
दो बूंद मय गले से उतर जाय गर
अपने आप पलकों का संगम हो जाता है |
छोटी छोटी बातों में जब हो जाते है नाराज
भूलकर लिहाज खोल देते हैं दिल का राज
बह निकलते है जमा नफरत का सैलाब
खुल जाती है असलियत ,दिखावा का हमराज |
कालीपद 'प्रसाद '
सर्वाधिकार सुरक्षित
सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeleteरिस्ते की स्पेलिंग ठीक कर लें. रिश्ते... :)
ReplyDeleteधन्यवाद नीरज जी !
Deleteबढिया सुंदर लेखन , आदरणीय सर धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
रिश्तों को स्नेह के पानी से सींचना होता है ... भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (19-05-2014) को "मिलेगा सम्मान देख लेना" (चर्चा मंच-1617) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक जी ,आपका आभार !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अपना अपना नज़रिया - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआपका आभार
Deleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...!
ReplyDeleteRECENT POST - प्यारी सजनी
भावना से ओत प्रोत रचना ,सुन्दर
ReplyDeleteभावपूर्ण सुन्दर रचना !!
ReplyDeleteरिश्तों को सही मायनों में परिभाषित करती बहुत सुंदर रचना !
ReplyDeleteरिश्ते कांच से भी ज्यादा नाजुक होते है उसी की तरह जिन्हें सम्भालना पड़ता है उम्दा प्रस्तुति
ReplyDeletebilkul ...asliyat bata diya bhawon ke dwara ...
ReplyDeletesach mein bahut hee najuk hoti hai rishton ke dorrr
ReplyDeleteRishtey sachmuch bohat hi nazuk hote gain..... Todna bohat asaan hai.. Jod me rakhna bohat hi mushkil
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