ईश्वर के हर नियम-कानून है अलिखित
तोड़ने पर मिलती दण्ड, है यह निश्चित |
लाठी है अदृश्य उनकी, दिखाई नहीं देती
मारते हैं मुजरिम को, आवाज़ नहीं होती |
कौनसा नियम तोड़ने पर, दण्ड कौनसा है
इसका लेखा जोखा, केवल ईश्वर के पास है |
देकर एक शरीर, जीव को धरा पर भेजा है
दण्ड का पहला प्रहार, शरीर पर पड़ता है |
रोग के विषाणु भी, एक सूक्ष्म जीवाणु है
विशाल शरीर में घुसकर, रोग पैदा करता है |
दवाई के असर से, सूक्ष्म जीव मरता है
सूक्ष्म जीव विशाल का प्राण हर लेता है |
कैसा नियम बनाया रब ने, कुछ समझ न आये
चींटी से परेशां हाथी, चाहकर कुछ न कर पाये |
कालीपद ‘प्रसाद’
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वाह बहुत सुंदर
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर. कोई छोटा बड़ा नहीं.
ReplyDeleteआपका आभार राजेंद्र कुमार जी !
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