नीति और कार्य द्वारा सबसे गरीब का भला हो
भारत के शासक और शासन नीति का यही ध्येय हो
सभी नेताओं से यही कहा था राष्ट्रपिता गाँधी जी ने
सबके तन पर कपडे, सरपर छत हो, कोई भूखा न हो |
सर्वस्य त्याग कर एक वस्त्र धारी बने थे गांघी जी
अहिंसा,प्रेम और सौहाद्र के लिए लडे थे गाँधी जी
स्वर्ग से ईच्छा हुई देखे कैसा है स्वतंत्र भारत आज
भ्रष्टाचारियों के हाथ अहिंसा का क़त्ल देख रो दिए गांधी जी |
कालीपद 'प्रसाद'
आपका आभार शास्त्री जी !
ReplyDeleteभ्रष्टाचारियों के हाथों अहिंसा का क़त्ल तो होना ही था.
ReplyDeleteसुंदर रचना.