जीवन एक सतत युद्ध है
हर दिन हर पल लड़ना पड़ता है
कभी किसी व्यक्ति से,
कभी किसी विचार से ,
कभी ‘काल’ से
कभी परिस्थिति से,
कभी खुद के दिल और विवेक से,
इसमें जय पराजय गौण है
सतत युद्ध करना ,योद्धा का धर्म है
यही जीवन का सारांश है |
जीवन एक अनजान आश्चर्य है
इसमें अथाह सिन्धु की गहराई है
हिमाच्छिद पर्वत शिखर है
जलहीन मरू, सुखा सिकता है
फूलों की खुशबु और काँटों की चुभन है,
किस मोडपर किस से होगी मुलाकात
कोई नहीं जानता यह बात
सब कुछ अनजान है |
जिंदगी अचानक लेती मोड़
विस्मित करती है विवेक को
और मोह लेती है दिल को
यही तो जीवन का आकर्षण है |
कालीपद "प्रसाद"
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " एक थी चिरैया " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन का आभारी हूँ
Deleteआपने लिखा...
ReplyDeleteकुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 09/02/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक207 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
आपका आभार कुलदीप ठाकुर जी !
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-02-2016) को "नुक्कड़ अनाथ हो गया-अविनाश वाचस्पति को विनम्र श्रद्धांजलि" (चर्चा अंक-2247) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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चर्चा मंच परिवार की ओर से अविनाश वाचस्पति को भावभीनी श्रद्धांजलि।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका आभार डॉ रूपचन्द्र शास्त्री जी !
Deletehttp://abcdnext.blogspot.com/2016/02/prahlad.html
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