Friday, 25 October 2019

ग़ज़ल

२१२२/११२२ ११२२ ११२२ २२
प्यार जिसको मिला’ खुश्बख्त बड़ा होता है
जिसे’ दुत्कार मिला दिल का’ जला होता है |
जीस्त जिसने दिया’ वो कष्ट दिया जीवन में
और कोई नहीं बस जंद खुदा होता है |
आपसे क्या कहूँ’ बर्बाद किया जीवन को
बेवफा प्यार भी’ दर्दीला’ क़ज़ा होता है |
जिंदगी में जिन्हें’ सुख ही मिला’,सब है कच्चे
शुद्ध सोना सदा’ तपकर ही’ खरा होता है |
रहनुमा हो या’ सनम वादे’ किया करते हैं
सभी वादे न निभाये तो’ दगा होता है |
काम जनता के‘ बहाने किया’ करते नेता
पर दिलों में स्वयं का स्वार्थ छुपा होता है |
और क्या क्या छुपा रक्खा है ? बताओ ‘काली’
राज है जो छुपा, जनता को’ पता होता है |
शब्दार्थ =
खुश्बख्त= भाग्यशाली
जंद = महान
क़ज़ा =आँख में पड़ा कचडा, मौत
कालीपद 'प्रसाद

1 comment:

  1. चतुर्दशी एवं दीवाली की शुभकामनाएं सभी मित्रों को

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