( गूगल के सौजन्य से )
पढ़ा है महाभारत में
द्रौपदी का चीर हरण हुआ था सभा में
सभी मर्द थे ,पर चुप थे ,भय से ,अचरज से ,
कोई न आया बचाने द्रौपदी को
लाज बचाया केवल कृष्ण ने।
आज" भारत महान" की राजधानी ....
दिल्ली - पुरातन इन्द्रप्रस्त में
हो रहा है पुनरावृति वही कहानी की
पर राजसभा अब धृतराष्ट्र की नहीं
अब यह है गांधारी की।
नारी का राज है
नारी के राज में
नारी ही बेआबरू है
सभा में नहीं
अब सड़क पर।
नारी बेआबरू है ,
उसकी इज्जत जर्जर है
सड़क पर ,बस में, कार में ,
रक्षा के आस्था स्थल , थाने में ,
कोई कृष्ण नहीं आया उसे बचाने में,
क्योंकि सड़क से राजसभा तक
दु:शासनों का राज है।
सड़क पर,
थाने पर
दू:शासन का ही प्रहरी है
इसलिए नारी निर्वस्त्र होने के लिए
मजबूर है।
कृष्ण हीन द्वारका में
नहीं बचा पाया अर्जुन
गोपियों का मान ,
जल समाधी लिए गोपियाँ
बचाने आत्म सम्मान।
नारियों !जागो !!
यह नहीं है द्वापर युग
जल समाधी कभी न लेना
यह है कलियुग ,
सशरीर कृष्ण नहीं आया
तो क्या ?
दुर्गा, काली की शक्ति है तुम में
उसका क्या हुआ ?
जगाओ उस शक्ति को
ललकारो दुस्शासनों को ,
न रक्तबीज रहा न महिषासुर
दुराचारी दूस्शासन भी नहीं रहेगा।
आओ निकलकर घर से
वध करो सब दुस्शासनों को
तीर ,तलवार ,बन्दुक न बुलेट से
अपना अ-मूल्य मत पत्र "वेलेट" से।
कालीपद "प्रसाद "
© सर्वाधिकार सुरक्षित
http://urvija.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_7848.html
ReplyDeleteवाह: बहुत सुन्दर सटीक रचना..
ReplyDeleteना कल बदला था ना आज
ReplyDeleteनारी का राज हो या पुरुष क छली नारी ही जाती है ... सटीक और सशक्त रचना
ReplyDeleteमेरा भारत महान अब मुझसे नहीं कहा जाता है।
ReplyDeleteइंद्रप्रस्थ ,दु :शासन /दुस्शासन ,अ -मूल्य ,बेलट (मत पत्र ,वैलट /बटुवा )
ReplyDeleteबेहतरीन प्रासंगिक गहरे बिम्ब संजोये जोश की खरोश की संवेदनाओं को उजागर करती रचना .
युग कोई भी रहा हो... मर्द के आहात दर्प का शिकार बस औरत ही होती आई है... एक सशक्त रचना!
ReplyDeleteयुग कोई भी रहा हो... मर्द के आहात दर्प का शिकार बस औरत ही होती आई है... एक सशक्त रचना!
ReplyDeleteसार्थक रचना श्रीमन! हमें इस जागृति को अपने जीवन में भी सहजता से उतारना है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (महिला पर प्रभुत्व कायम) पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
सार्थक और सटीक रचना है |
ReplyDeleteआशा
एकदम सटीक रचना...
ReplyDeleteसटीक और सशक्त रचना
ReplyDeleteसशक्त रचना । बहुत उम्दा ।
ReplyDeleteplz visit and join the blog: http://maiqbaldelhi.blogspot.in/p/hindi-articles.html and send your valuable views/ comments
ReplyDeleteregards,
asif