Monday, 10 December 2012

क्षणिकाएँ

अपनी   असफलता   पर, तू न मायूस हो, न गम कर ,
खाई से होकर ही चढ़ते हैं  शिखर पर ,शिखर पर तू नज़र रख।

अपनी कमज़ोरी का तू न नुमाइश कर , उसे पह्चानले ,
याद रख ,वही दिलायेगी सफलता ,तू उसका ख्याल रख।

वाक पटुता है,  शब्द शक्ति है,  शब्दों में मिठास भी है,
गर ये किसी के दिल में दर्जा न पाये ,तो सब ना काफ़ी है।

मन्जिल तक पहुँचने के लिए चलना तो पढ़ेगा ,
लड़ाई जितने के लिए हिम्मत से लड़ना तो पड़ेगा।

जिसने भी हिम्मत हारा ,परीक्षा से मुहँ मोड़ा ,
मिट गया वह ,जग ने भी उसको भुला दिया।


कालीपद "प्रसाद "
© सर्वाधिकार सुरक्षित

13 comments:

  1. अनुपम भाव लिये उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति

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  2. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 12/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  3. बहुत उत्कृष्ट भाव...बहुत सुन्दर

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  4. बहुत सुन्दर भाव उत्कृष्ट प्रस्‍तुति

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  5. बहुत सुन्दर भाव..उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति..

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  6. मंज़िल तक पहुंचने के लिए चलना तो पड़ेगा
    लड़ाई जीतने के लिए हिम्मत से लड़ना तो पड़ेगा

    बहुत सही कहा आपने…
    आदरणीय कालीपद "प्रसाद"जी !

    ग़ज़ल तो नहीं , एक रचना कह सकते हैं
    अच्छे काव्य-प्रयास के लिए बधाई !

    लिखते रहें … और श्रेष्ठ लिखते रहें …
    शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार



    #
    12-12-12 के अद्भुत् संयोग के अवसर पर
    लीजिए आनंद ,
    कीजिए आस्वादन
    वर्ष 2012 के 12वें महीने की 12वीं तारीख को
    12 बज कर 12 मिनट 12 सैकंड पर
    शस्वरं पर पोस्ट किए
    मेरे लिखे 12 दोहों का

    :)

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  7. बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्त लिया है आपने मनोभावों को. आभार भारत पाक एकीकरण -नहीं कभी नहीं

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  8. bahut khoob .....shandar gajal hr sher umda .

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  9. behad umda...
    http://ehsaasmere.blogspot.in/

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