वसीयत माँगती तुम्हारी संतति
सुजला सुफला धरती
पूर्वजों की धरोहर धरती,
पशु पक्षी के कलरव से
प्रफुल्लित ,उल्लसित धरती
प्रफुल्लित ,उल्लसित धरती
वृक्ष लता से सज्जित सजीव धरती ,
प्राणवायु से भरपूर और अमृत जल
जीवन के स्पंदन से स्पंदित धरती।
नहीं मांगती तुम्हारी संतति
वृक्ष लता हीन वंजर धरती ,
संहारक विषाक्त वायु, अप्राकृतिक निर्झर
सिमटती वन और उजड़ी पर्यावरण
दूषित जल और मुमूर्ष जन
धरती , जिसमे हो दुर्लभ जीवन।
धरती , जिसमे हो दुर्लभ जीवन।
हे मानव !
लिख दो वसीयत अपनी संतति के नाम
न गज ,न बाजी ,न चाँदी ,न कंचन
केवल हरित धरती ,स्वच्छ जल-वायु
और स्वच्छ पर्यावरण !!!
कालीपद "प्रसाद "
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बहुत सुन्दर बात...सार्थक सन्देश....
ReplyDeleteसादर
अनु
सुंदर और सार्थक रचना |
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना!
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