ऐ जिंदगी !
जरा तू बता
तेरी रज़ा क्या है ?
कभी तू हँसाता है
कभी तू रुलाता है |
जब मैं चांहू कि मैं हँसु
तब तू मुझे रुलाता है ,
रो रो कर मैं जब
गम से कर लिया प्यार ,
गम के बादल के पीछे से हंसकर
आशा –किरण बनकर
तू करता है दूर
मेरे मन का अन्धकार !
कभी सुख कभी दुःख
कभी उजाला कभी तम,
कभी हँसी कभी रोना
कभी ख़ुशी कभी गम !
धन की बारिश कभी
कभी मुफलिसी नंगा तन
धुप छांह के इस खेल में
टूटता है मेरा तन मन ,
विषमता तुझे प्यारी है
तू ही बता ऐ जिंदगी
तेरी रज़ा क्या है ?
भक्ति से करता हूँ तेरी सेवा
आस्था से करता हूँ तेरी पूजा
मन में कुछ शंकाएं उगाकर
भक्तिहीन बना देता है मेरी पूजा |
शंकित हूँ ,...सोचता हूँ ...
क्या मैं एक आस्तिक हूँ ?
या मैं एक नास्तिक हूँ ?
दिया दुःख, सुख से अधिक
यह तेरी क्या माया है
ऐ जिंदगी जरा तू ही बता
तेरी रज़ा क्या है ?
जब करने लगता हूँ विश्वास तुझे
तू देता है तब , धोखा मुझे,
संदेह के झूले में झुलाता है हरदम
आगे नहीं बढ़ पाता मैं ,
लडखडाता है मेरा कदम ,
क्या करूँ क्या ना करूँ ...?
सब कुछ अनिश्चित है
ऐ जिंदगी! जरा तू ही बता
तेरी रज़ा क्या है ?
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
बढ़िया व बहुत ही सुंदर लेखन , आनंद अनुभूति , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteनवीन प्रकाशन - ~ रसाहार के चमत्कार दिलाए १० प्रमुख रोगों के उपचार ~ { Magic Juices and Benefits }
बस यही फितरत है ज़िंदगी की। …. सुन्दर रचना
ReplyDeleteईश्वर की लीला अपरम्पार है
ReplyDeleteउसके हर संकेत में छिपा
अतुलनीय विश्वास
और प्यार है !
बहुत ही सुंदर रचना !
जिंदगी एक पहेली
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteइसी को ज़िन्दगी कहते हैं ... अच्छे भाव लिए रचना ...
ReplyDeletezindgi yahi to nahi batati .nice poem .
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन विश्व हास्य दिवस - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआपका सादर आभार !
Deleteज़िन्दगी कैसी है पहेली, कभी तो हँसाए, कभी ये रुलाए!!
ReplyDeleteइस पहेली के हर पहलू को आपने छुआ है!! बहुत ख़ूब!!
रखिये अटूट विश्वास, राह पर डटे रहिये। सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteडॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी ,आपका सादर आभार !
ReplyDeleteati sundar
ReplyDeleteयही धूप है, छाँव है तो ज़िन्दगी है. बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग के पोस्ट के लिए manojbijnori12.blogspot.com यहाँ आये और अपने कमेंट्स भेजकर कर और फोलोवर बनकर हमारा अपने सुझाव दे !
बहुत खूब ....दमदार अभिव्यक्ति
ReplyDeletejindgi bas jindgi hai ....kabhi har kabhi jeet ....bahut sundar
ReplyDeleteयही है जिन्दगी.. सुन्दर रचना..
ReplyDeleteजिंदगी कभी धूप तो कभी छाँव
ReplyDeleteअनिश्चिताओं से भरी जिंदगी
कभी आह तो कभी वाह
यही जिंदगी
बहुत सुन्दर रचना !
क्या बात!
ReplyDeleteसार्थक रचना ..........
ReplyDeleteबस पढ़ने में (तू ) जो की ये सही है (तु.....ये गलत है ) ....पढ़ने में बाधा डालता है
धन्यवाद अनु जी !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .. सार्थक रचना .. बधाई
ReplyDeleteबुद्धा और महावीर ने बहुत तपस्या के बाद जीवन के रहस्य को समझा.. सुन्दर रचना
ReplyDelete