Tuesday, 8 July 2014

मेरा जन्म !



चित्र गूगल से साभार


मेरा जन्म !

अँधेरी कोठरी में
घोर अन्धकार में
तुम्हारी कृपा प्रकाश था
मुदित नेत्रों से भी
मैं देख सकता था |
मात्री गर्भ में हे ईश्वर!
तुम ने तिल-तिल जोड़कर
धीरज से मुझे बनाया
यतन से मेरा रूप सवांरा ,
जीवन के प्रतीक
स्वांस प्रस्वांस दिया |
जीवन का दूसरा पहचान
हर पल,हर घडी धड़कते
दिल की धड़कन दिया |

तुम मुझमें समाहित हो
जानूं ! वही निरंतर धड़कन हो,
धड़कन रुक जाती है
जब तुम रूठ जाते हो |
जब तुम मुझ में हो
तब किसी काम का मुझे
कोई डर  क्यों  हो ?
मुझ से कोई अच्छा या बुरा काम हो
ऐसा हो नहीं सकता ,
वही करता हूँ मैं
जो तुम करवाते हो |

मानव शिशु सब हैं एक बराबर
नहीं है नवजात में कोई अंतर ,
परिवार बनाता है उसे मेहनती
और किसी को आलसी ,लानती,
वही बनता उसे मज़हबी
 किन्तु ईश्वारेच्छा से अजनबी  |

करना तुम इतना कृपा
हे दयालु! दया  निधान ,
कराना कुछ काम मुझ से ऐसा
जिसमें छिपा हो जन कल्याण |


धन्य हो  मेरा परलोक जीवन 
धन्य हो  मेरा इहलोक जीवन 
पूर्ण करने तुम्हारी नेक इच्छा 
तुम्हे समर्पित दोनों जीवन |

ना जानूं ,क्या अच्छा है ,क्या बुरा है
नहीं जानता जग का आचार विचार
तुमको मैं जानूं सब कर्मो का अंत
अनतिम पढाव हर नदी का जैसे है महासागर |

कालीपद 'प्रसाद '
सर्वाधिकार सुरक्षित

24 comments:

  1. नैसर्गिक इच्छा अद्भुत भाव

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  2. बहुत सुन्दर रचना..

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    1. आभार माहेश्वरी कनेरी जी |

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  3. एक निश्छल, निष्कपट पावन प्रार्थना ! अति सुंदर !

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  4. गहरे भाव ... भावनाओं से ओतप्रोत ..

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  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें!

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  6. गहन अनुभूतियों से सुस्‍ाज्ज्ति।

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    1. आपका आभार विकेश बडोला जी |

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  7. गहरे भाव... सुन्दर रचना के लिए बधाई.

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    1. आपका आभार डॉ जेन्नी शबनम जी !

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  8. बहुत सुन्दर प्रभावी रचना

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  9. आपका आभार राजीव जी !

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  10. आपका आभार राजा कुमारेन्द्र सिंह जी !

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